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कर्ज से मुक्ति के लिए प्रतिदिन पढ़ें हनुमान जी का यह स्तोत्र


भारतीय दार्शनिक चार्वाक की एक पंक्ति है- ‘यावज्जीवेत सुखं जीवेद, ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत।’इसका अर्थ है कि जब तक जिएं सुख से जिएं और कर्ज लेकर घी पीएं। कोरोना के समय में लोगों को आर्थिक हानि काफी हुई थी। कई लोगों को तो जीवन यापन करने के लिए भी कर्जे का सहारा लेना पड़ा है। कहा जाता है कि जीवन में एक बार अगर कर्ज का मर्ज लग जाए तो वह जल्दी नहीं छूटता है। हालांकि, कई बार इंसान के हालात ऐसे हो जाते हैं कि उसे कर्ज लेना ही पड़ता है। सनातन परंपरा में कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनके जरिए कर्ज के मर्ज को दूर किया जा सकता है। कहा जाता है कि अगर इन उपायों को किया जाए तो व्यक्ति के सिर से शीघ्र ही बोझ दूर हो जाता है। कर्ज मुक्ति के लिए हनुमानजी का ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पढ़ना बेहद लाभकारी माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, अगर आपकी कुंडली में मंगलदोष है तो यह स्तोत्र मंगलवार को करने से दोष से मुक्ति मिल जाती है।


ऋणमोचक मंगल स्तोत्र:

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।

धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।

व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।

एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।

न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।

त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।

भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।।

तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।

ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।

महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।

।। इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।

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