....

ऐसे करें कुबेर साधना

जहां कुबेर है­ वहां लक्ष्मी है,नवनिधियां हैं,सूर्य का तेज है,योग्य सेवक है,इसीलिए तो कुबेर का स्थान ब्रह्मा,विष्णु,महेश के समकक्ष माना गया है। लक्ष्मी को चलायमान अस्थिर कहा गया है,और जो व्यक्ति लक्ष्मी को स्थिर कर देता है, उसके अपने जीवन में किसी प्रकार की कमी रहती ही नहीं, वह अपने लिए धन तो संचय करता ही है, अपनी आने वाली पीढियों के लिए भी कुछ कर सकता है, धन से सब कुछ तो नहीं, लेकिन बहुत कुछ ऐसा किया जा सकता है, जिससे दुख का भार कम हो सकता है।कई व्यक्ति तो अपना पूरा जीवन पेट भरने और बीबी-बच्चों को पालने में ही पूरा कर देते हैं।उनके पास इतना धन ही नहीं होता कि वे जीवन के सभी रंगों को देख सकें। और दूसरे व्यक्तियों के पास धनदेव की इतनी कृपा होती है कि वे जितना प्रयास करते हैं उससे अधिक ही कमाते हैं। तो आइए आज हम कुबेर साधना के बारे में चर्चा करते है।
धन के अधिदेव कुबेर
कुबेरदेव की महत्ता ही निराली है। ब्रह्मा और शिव द्वारा विशेष रूप से आशीर्वाद युक्त होने के कारण इनका स्थान शिव के साथ ही है तथा सूर्य के समान तेज है। विशेष बात यह है कि देवताओं को भी धन के लिए कुबेर जी की ही प्रार्थना करनी पड़ती है। कुबेर साधना कोइ भी यज्ञ,पूजा,उत्सव कुबेर की पूजा के बिना संपन्न हो ही नहीं सकता। उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर को ही माना गया है। आकस्मिक धन प्राप्ति तथा गुप्त धन प्राप्ति हेतु भी कुबेर की ही साधना का विधान है। कुबेर की साधना करने से शिव साधना तथा शुक्र साधना का फल मिल जाता है। कुबेर भी शिव समान सरल देव हैं और इस साधना को तो प्रतिदिन पूजा का अंग ही बना लेना चाहिए। कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी कुबेर सिद्धि दिवस है। इस दिन प्राण प्रतिष्ठित कुबेर यंत्र स्थापित करना चाहिए। यदि पहले से ही है तो उसे जल में विसर्जित कर दें और नया यंत्र स्थापित करें। इस साधना में कुबेर यंत्र तथा कमलगट्टा माला आवश्यक है।
इसके साथ नारियल,कुमकुम,केसर,मौळी,जल,पंचामृत,पुष्प,प्रसाद,दक्षिणा इत्यादि की व्यवस्था पहले से ही कर लेनी चाहिए। इस दिन स्नान कर,पीले वस्त्र धारण कर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें और चैकी पर चावल की ढेरी पर कुबेर यंत्र स्थापित कर ध्यान करें-
मनुजबाह्यविमान वरस्थितं गरुड़रत्ननिभं निधिनायकं।
शिवसखं मुकुटादिविभूषितं वरगदे दधतं भज तुंदिलम्
इसके बाद 108 बार यंत्र पर पुष्प चढाते हुए इस मंत्र का जप करें-
ओम् श्रीं ओम् ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं
वित्तेश्वराय नमः।।
फिर कमलगट्टे की माला लेकर नीचे लिखे हुए मंत्र का जाप सवा लाख करने का विधान है,लेकिन साधक 5 माला प्रतिदिन मंत्र जप अवश्य ही करे। ओम् क्षं क्षीं क्षमाधिपतिः आगच्छ यक्षाय कुबेराय जप समाप्त होने पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए साधना में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मांग लें। अगले दिन यंत्र को लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी में रख दें। माला को जल में प्रवाहित कर दें और सवा महीने बाद यंत्र को भी नदी में प्रवाहित कर दें। यह साधना अद्वितीय है। जिस स्थान पर यह साधना संपन्न की जाती है वह स्थान लक्ष्मी का प्रिय स्थान बन जाता है। शिव जी की ही कृपा से कुबेर अलकापुरी में निवास करने लगा जो भी साधक इस साधना को सफल कर लेता है वह सौन्दर्य,सांसारिक सुख,धन,वैभव निश्चय ही प्राप्त कर लेता है।
Share on Google Plus

click News India Host

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment