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सुप्रीम कोर्ट में उठा पाकिस्तान में कैद भारतीय सैनिकों का मामला

सुप्रीम कोर्ट में 50 साल पुराने मामले को फिर से उठाया गया है। खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस गंभीरता से लिया है। दरअसल 1971 में पाकिस्तान में युद्धबंदी बने मेजर कंवलजीत सिंह के साथ पूर्व सैनिक बीर बहादुर सिंह की ओर से एक याचिका दाखिल की है। मेजर कंवलजीत सिंह की पत्नी जसबीर कौर ने याचिका में कहा गया है कि 54 POW को अभी भी पाकिस्तान सरकार द्वारा अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है। याचिका में इन POWs की रिहाई की मांग की गई है। साथ ही POWs के अधिकारों की रक्षा के लिए घरेलू और एक अंतरराष्ट्रीय तंत्र की स्थापना की मांग भी की गई है। याचिका में कैप्टन सौरभ कालिया और जाट रेजीमेंट के 4 सिपाहियों की हत्या की भी जांच की मांग की गई है।


कोर्ट में मामले को बताया महत्वपूर्ण

याचिका में रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और सेना प्रमुख को प्रतिवादी बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की बेंच ने याचिका में कही गई बातों महत्वपूर्ण माना। जजों ने पाकिस्तान में बंद भारतीय सैनिकों की लिस्ट मांगने और उन्हें वापस लाने के लिए कदम उठाने की मांग पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह याचिका में कही गई बातों पर 3 हफ्ते में अपना रुख बताए। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोर्ट भारत सरकार को अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस से पाकिस्तान में बंद भारतीय सैनिकों की लिस्ट देने को कहे और उसके आधार पर कार्रवाई करे। याचिका में कहा गया है इस महान देश के सैनिक लगभग 50 वर्षों से दयनीय जीवन जी रहे हैं। वहीं भारत सरकार का दावा है कि वे POW की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाये जा रहे हैं।

पाकिस्तान ने नहीं लौटाए 1971 के युद्धबंदी

याचिका में बताया गया है कि युद्ध के बाद यह बात सामने आई थी कि पाकिस्तान 54 भारतीय युद्धबंदियों को भारत भेजेगा। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। बीच-बीच में यह सुना जाता रहा कि पाकिस्तानी जेल में इन सैनिकों को बहुत यातनापूर्ण परिस्थितियों में रखा गया है. लेकिन भारत सरकार और सेना ने कभी भी इन लोगों की रिहाई के लिए उचित प्रयास नहीं किए।

1999 में शहीद कैप्टन का मामला

याचिकाकर्ता ने 1999 में पाकिस्तान की क्रूरता का शिकार हुए जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया समेत 6 सैनिकों की हत्या की जांच की भी मांग की है। कारगिल युध्द से पहले मई 1999 में लद्दाख से सटे लाइन ऑफ कंट्रोल में गश्त कर रहे इन 6 सैनिकों को घुसपैठिए पाकिस्तानी सैनिकों ने कैदी बना लिया था। उन्हें बहुत तकलीफ देकर जान से मारा गया। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि पाकिस्तानी सेना के नायक गुले खानदान ने सार्वजनिक कार्यक्रम में भारतीय सैनिकों के साथ की गई क्रूरता के बारे में बताया है। भारत सरकार ने मामले की जांच और कार्रवाई के लिए ठोस प्रयास नहीं किए। गौरतलब है कि कैप्टन सौरभ कालिया के पिता ने भी 2012 में इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन उसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।

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