....

मध्यप्रदेश में बने सात जांच आयोग, आधे के अब तक नहीं आयी फाइनल रिपोर्ट

 भोपाल : मध्यप्रदेश में पिछले आठ सालों में राज्य सरकार ने विभिन्न घटनाओं को लेकर सात जांच आयोग गठित किए लेकिन अभी तक चार आयोगों  की रिपोर्ट पर विभागीय कार्यवाही ही पूरी नहीं हो पाई है। फाइनल रिपोर्ट अब तक विधानसभा में पटल पर नही रखी गई है।


 मध्यप्रदेश में वर्ष 2015 में भिंड जिले में हुए गोलीचालन की घटना के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार श्रीवासतव अज्ञैर सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीपी कुलश्रेष्ठ की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था। इस आयोग को जिन बिन्दुओं पर जांच करनी थी उनमें ग्राम पड़कौली के देवेन्द्र सिंह भदौरिया  को किस अपराध के अधीन गिरफ्तार किया गया था और  उसका गिरफ्तारी वारंट किस न्यायालय द्वारा जारी किया गया था।  ग्राम वासियों ने किन परिस्थितियों के अधीन गिरफ्तारी  वारंट का निष्पादन कर रहे पुलिस बल पर हमला किया और बंदूक से गोली चालन किया गया।

रणसिंह भदौरिया की मौत कि न परिस्थितियों मे हुई और उसके क्या कारण रहे। भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकनरे के संबंध में सुझाव और घटना से जुड़े अनुषांकिगक विषयों पर आयोग को विचार करना था। छह साल बाद भी अभी आयोग की फाइनल रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की गर्ठ है। इस मामले में विभागीय कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

 इसी तरह तीन अगस्त  2015 को ग्वालियर जिले के गोसपुरा नंबर दो मानमंदिर के समीप  पुलिस मुठभेड़ में धमेन्द्र सिंह कुशवाह की मौत  के मामले में सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीपी कुलश्रेष्ठ की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया गया था। आयोग को यह जांच करना था कि धमेन्द्र कुशवाह को गोसपुरा नंबर दो मानमंदिर टाकीज के पास से गिरफ्तार किया गया था तो किस अपराध में, इसके अलावा कुशवाह की मौत किन परिस्थितियों में हुईथी। भविष्य में इस तरह की घटनाए ना हो उसके लिए सुझाव भी मांगे गए थे। इस पूरे मामले में अभी भी विभागीय कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

 बारह सितंबर 2015 को झाबुआ जिले के पेटलावद में हुए विस्फोट की घटना की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर्येन्द्र कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया गया था। इसमें यह जांच की जाना था कि किन परिस्थितियों में घटना हुई और कौन इसके लिए उत्तरदायी है। भवन के स्वामी अथवा किरायेदार के पास विस्फोटक संग्रहण या उपयोग करने का लाइसेंस था। इसे किसने जारी किया था और नवीनीकरण करने स ेपूर्व पर्याप्त सावधानी बरतकर नियमानुसार जारी किया गया था। अवैध विस्फोटक संग्रहण के संबध्ां में शिकायत की गई थी। उस पर क्या कार्यवाही हुई। भविष्य में ऐसी घटना न हो उसके लिए सुझाव भी मांगे गए थे। लेकिन अभी तक इस मामले में विभागीय कार्यवाही जारी है।

मंदसौर में 2017 में हुए किसान आंदोलन के दौरान गोली चालन की घटना के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेके जैन की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया गया था। इसमें जिन बिन्दुओं पर जांच की जाना था उसमें घटना किन परिस्थितियों में घटी, पुलिस द्वारा जो बल प्रयोग किया गया क्या वह घटना स्थल की परिस्थितियों को देखते हुए उपयुक्त था। यदि नहीं तो इसके लिए दोषी कौन है। भविष्य में ऐसी घटनाए नहीं हो उसके लिए सुझाव भी मांगे गए थे। लेकिन इस जांच के बाद अभी भी विभागीय कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।


Share on Google Plus

click vishvas shukla

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment