भोपाल : अमूमन लोग सोचते हैं कि मुस्लमान गायों को नहीं पालते यह कहना बिल्कुल गलत है। भोपाल रेलवे स्टेशन से करीब 25 किमी दूर तूमड़ा गांव में संचालित मदरसे में गायों का पालन-पोषण किया जा रहा है। जामिया इस्लामिया अरबिया नाम से इस मदरसे में स्वतंत्रा संग्राम सेनानी मुफ्ती अब्दुल रज्जाक ने साल 2003 में गौ-शाला शुरू की थी।
करीब 60 एकड़ जमीन में फैले मदरसा परिसर में टीन का शेड तैयार कर गो-शाला बनाई गई है। शुरुआत में यहां एक गाय थी, लेकिन करीब 20 गाय हैं। जिनमें जर्सी व देशी नस्ल की हैं। दो कर्मचारी गायों की देखरेख में दिन-रात लगे रहते हैं। मदरसे में पढ़ने वाले करीब 200 बच्चों को बकायदा गो-सेवा की तालीम दी जाती है।बच्चों को गायों का महत्व बताया जाता है।
मदरसे के करीब 13 शिक्षक बच्चों को गो-सेवा बल्कि कंप्यूटर की तालीम भी दे रहे हैं। यहां बच्चों को उर्दू के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी भाषा भी पढ़ाई जाती है। मदरसे के संचालक मौलाना मोहम्मद अहमद ने बताया कि पिता मुफ्ती अब्दुल रज्जाक इंसानों के साथ जानवरों से मोहब्बत करने की सीख देते हैं। वे आज भी 95 साल की उम्र में गौ-शाला में गायों को देखने आते हैं। मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत अच्छी रहे, इसलिए उन्होंने यह गोशाला खोली है।
वे कहते हैं कि मुस्लमान गायों को नहीं पालते लोग सोचते हैं यह कहना बिल्कुल गलत है। हमारी गो-शाला में आकर देखें। हम सच्चे दिल व पूरी श्रृद्धा के साथ गायों की सेवा कर रहे हैं। गो-सेवक मोहम्मद एजाज बताते हैं कि एक मदरसा मोती मस्जिद के पास है। दूसरा तूमड़ा गांव में। दोनों में करीब 700 बच्चे हैं। तूमड़ा के मदरसे की गो-शाला की गाय रोजाना 50 से 60 किलो दूध देती हैं। दूध बेचा नहीं जाता। मदरसे के बच्चों का पीने के लिए रोजाना दिया जाता है। मदरसे के बच्चे रोज एक-एक रोटी लाकर गायों को खिलाते हैं।
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