भोपाल: कांग्रेस की चुनावी जीत के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री बनने के दावेदारों में अशोक गहलोत सबसे आगे हैं। वे पहले भी मुख्यमंत्री रहे हैं। मध्यप्रदेश में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को मौका मिल सकता है। वहीं, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का नाम सीएम कैंडिडेट के तौर पर आगे चल रहा है।
तीनों राज्यों में मंत्री पद के लिए 52 नाम चर्चा में हैं।राजस्थान में कांग्रेस 99 सीटों पर है। इसलिए अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के आसार ज्यादा हैं। गहलोत संकट मोचक हैं और अन्य दलों से उनका मैनेजमेंट भी अच्छा है।
इसके पहले भी जब गहलोत मुख्यमंत्री थे तो उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। 96 सीटों के साथ कांग्रेस सरकार बनी थी और गहलोत ने सफलतापूर्वक पांच साल राज किया था।
सचिन पायलट चूंकि नए हैं, इसलिए कम सीटों की सरकार में उनके सीएम बनने की संभावना कम है।
मप्र में कमलनाथ की संभावनाएं ज्यादा हैं। पहले यह संभावना थी कि कमलनाथ और सिंधिया के झगड़े में दिग्विजय सिंह द्वारा अजय सिंह ‘राहुल भैया’ को आगे कर दिया जाता।लेकिन अजय सिंह चुरहट से खुद ही हार गए।
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का मुख्यमंत्री बनना तय है। क्योंकि वही थे, जो लड़ रहे थे, संघर्ष कर रहे थे। केस झेले, जेल गए। सब कुछ किया। केवल ट्रांसफर, नियुक्तियां कराने वाले नेताओं की दौड़ से बाहर रहे। दूसरा नाम टीएस सिंहदेव का है, लेकिन भूपेश बघेल के सामने सिंहदेव की संभावना ना के बराबर है।
सीपी जोशी, दीपेंद्र सिंह शेखावत, बी डी कल्ला, शांति धारीवाल, विश्वेंद्र सिंह, रघु शर्मा, राजेंद्र पारीक, प्रमोद जैन भाया, गोविंद डोटासरा, भारतसिंह कुंदनपुर, अमीन खान, महेंद्रजीत मालवीय, हरीश चौधरी, डॉ. महेश जोशी, प्रतापसिंह खाचरियावास, परसराम मोरदिया।
लक्ष्मण सिंह, आरिफ अकील, डॉ. गोविंद सिंह, केपी सिंह, एदल सिंह कसाना, विजय लक्ष्मी साधौ, बाला बच्चन, जीतू पटवारी, उमंग सिंहार, तरुण भनोट, पीसी शर्मा, तुलसी सिलावट, हीना कामरे, झुमा सोलंकी, गोविंद राजपूत, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, कमलेश्वर पटेल, बिसाहूलाल, एनपी प्रजापति, संजय शुक्ला, दीपक सक्सेना, सचिन यादव, हीरा अलावा, प्रभुराम चौधरी, सज्जन सिंह वर्मा।
चरणदास महंत, ताम्रध्वज साहू, कवासी लखमा, सत्यनारायण शर्मा, धनेंद्र साहू, लखेश्वर बघेल, रविंद्र चौबे, अमितेश शुक्ल, रुद्र गुरु और कवर्धा से सबसे ज्यादा वोटों से जीते मोहम्मद अकबर।
तीनों राज्यों में मंत्री पद के लिए 52 नाम चर्चा में हैं।राजस्थान में कांग्रेस 99 सीटों पर है। इसलिए अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के आसार ज्यादा हैं। गहलोत संकट मोचक हैं और अन्य दलों से उनका मैनेजमेंट भी अच्छा है।
इसके पहले भी जब गहलोत मुख्यमंत्री थे तो उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। 96 सीटों के साथ कांग्रेस सरकार बनी थी और गहलोत ने सफलतापूर्वक पांच साल राज किया था।
सचिन पायलट चूंकि नए हैं, इसलिए कम सीटों की सरकार में उनके सीएम बनने की संभावना कम है।
मप्र में कमलनाथ की संभावनाएं ज्यादा हैं। पहले यह संभावना थी कि कमलनाथ और सिंधिया के झगड़े में दिग्विजय सिंह द्वारा अजय सिंह ‘राहुल भैया’ को आगे कर दिया जाता।लेकिन अजय सिंह चुरहट से खुद ही हार गए।
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का मुख्यमंत्री बनना तय है। क्योंकि वही थे, जो लड़ रहे थे, संघर्ष कर रहे थे। केस झेले, जेल गए। सब कुछ किया। केवल ट्रांसफर, नियुक्तियां कराने वाले नेताओं की दौड़ से बाहर रहे। दूसरा नाम टीएस सिंहदेव का है, लेकिन भूपेश बघेल के सामने सिंहदेव की संभावना ना के बराबर है।
सीपी जोशी, दीपेंद्र सिंह शेखावत, बी डी कल्ला, शांति धारीवाल, विश्वेंद्र सिंह, रघु शर्मा, राजेंद्र पारीक, प्रमोद जैन भाया, गोविंद डोटासरा, भारतसिंह कुंदनपुर, अमीन खान, महेंद्रजीत मालवीय, हरीश चौधरी, डॉ. महेश जोशी, प्रतापसिंह खाचरियावास, परसराम मोरदिया।
लक्ष्मण सिंह, आरिफ अकील, डॉ. गोविंद सिंह, केपी सिंह, एदल सिंह कसाना, विजय लक्ष्मी साधौ, बाला बच्चन, जीतू पटवारी, उमंग सिंहार, तरुण भनोट, पीसी शर्मा, तुलसी सिलावट, हीना कामरे, झुमा सोलंकी, गोविंद राजपूत, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, कमलेश्वर पटेल, बिसाहूलाल, एनपी प्रजापति, संजय शुक्ला, दीपक सक्सेना, सचिन यादव, हीरा अलावा, प्रभुराम चौधरी, सज्जन सिंह वर्मा।
चरणदास महंत, ताम्रध्वज साहू, कवासी लखमा, सत्यनारायण शर्मा, धनेंद्र साहू, लखेश्वर बघेल, रविंद्र चौबे, अमितेश शुक्ल, रुद्र गुरु और कवर्धा से सबसे ज्यादा वोटों से जीते मोहम्मद अकबर।
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