भोपाल : मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक खत्म हो गई। दोनों जगह विधायकों ने तय किया कि मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान करेगा।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने विधायकों-कार्यकर्ताओं की राय जानने के लिए एक सर्वे करवाया। एक रिकॉर्डेड कॉल के जरिए पूछा गया कि मुख्यमंत्री पद पर वे किसे देखना चाहेंगे?
हालांकि, कांग्रेस पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सभी विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की राय ली जाएगी और फैसला आलाकमान करेगा।
इस बीच, बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर हम राजस्थान में भी कांग्रेस को समर्थन देंगे। राजस्थान में कांग्रेस को 99 सीटें मिली हैं। रालोद के एक विधायक के समर्थन से उसके पास बहुमत के लिए जरूरी 100 सीटें हैं।
बुधवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की और 121 विधायकों के समर्थन का दावा किया। उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सीएम पद के दावेदार माने जा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे।
मप्र में बहुमत के लिए 116 की संख्या जरूरी है। कांग्रेस को 114, भाजपा को 109 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को सपा-बसपा ने समर्थन दिया है। कमलनाथ बुधवार को शिवराज सिंह चौहान से भी मुलाकात करने पहुंचे। शिवराज ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
मध्यप्रदेश में हार के बाद शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने हार की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली। शिवराज ने कहा- हमारे पास 109 सीटें हैं और हम मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। अब चौकीदारी की जिम्मेदारी हमारी है और हम चुप बैठने वालों में से नहीं हैं।
आज से ही हमारा काम शुरू हो रहा है। अब हमारा लक्ष्य 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदीजी के नेतृत्व में केंद्र में दोबारा भाजपा की सरकार बनाना है।
नेता प्रतिपक्ष के सवाल पर शिवराज ने कहा कि यह तो पार्टी तय करेगी, लेकिन नेता तो हम रहेंगे ही। अब मैं मुक्त हूं। न हार में, न जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं, कर्तव्य पथ पर जो भी मिले, ये भी सही वो भी सही।
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