वाशिंगटन : ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास की योजनाओं में भारत को कई तरह की छूट देने के अमेरिका के कदम का वहां की कई संस्थाओं ने स्वागत किया है।
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार पोर्ट को चीन द्वारा विकसित पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का जवाब माना जा रहा है। चाबहार के जरिये भारत पाकिस्तान जाए बगैर अफगानिस्तान से सीधा संपर्क स्थापित कर सकेगा और वहां माल इत्यादि भेज सकेगा।
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का दूसरा चरण चार नवंबर से शुरू हो चुका है। इस चरण में अमेरिका ईरान के आर्थिक स्त्रोतों और विकास योजनाओं को बाधित करने के हर संभव प्रयास अंजाम देने में जुट गया है।
इसके तहत ईरान के साथ मिलकर कार्य करने वाले देश भी अमेरिका के निशाने पर होंगे। लेकिन ईरान से तेल आयात में भारत को छूट देने के बाद अमेरिका ने चाबहार पोर्ट के विकास में भी भारत को छूट देने का फैसला किया है।
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार पोर्ट को चीन द्वारा विकसित पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का जवाब माना जा रहा है। चाबहार के जरिये भारत पाकिस्तान जाए बगैर अफगानिस्तान से सीधा संपर्क स्थापित कर सकेगा और वहां माल इत्यादि भेज सकेगा।
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का दूसरा चरण चार नवंबर से शुरू हो चुका है। इस चरण में अमेरिका ईरान के आर्थिक स्त्रोतों और विकास योजनाओं को बाधित करने के हर संभव प्रयास अंजाम देने में जुट गया है।
इसके तहत ईरान के साथ मिलकर कार्य करने वाले देश भी अमेरिका के निशाने पर होंगे। लेकिन ईरान से तेल आयात में भारत को छूट देने के बाद अमेरिका ने चाबहार पोर्ट के विकास में भी भारत को छूट देने का फैसला किया है।
ओमान की खाड़ी में स्थित चाबहार पोर्ट अफगानिस्तान में आपूर्ति पहुंचाने के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, भारत को पश्चिम एशिया के भी करीब पहुंचा देगा।
वहां से पाकिस्तान को घेरना भी आसान होगा। भारत की योजना चाबहार से रेलवे लाइन के जरिये अफगानिस्तान को जोड़ने की है। इस कार्य में सहयोग के लिए ईरान भी तैयार है। गृह युद्ध से बर्बाद अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में भारत की भूमिका की अमेरिका ने कई बार सराहना की है।
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