अभी भी वक्त है भारत को पीछे हट जाना चाहिए. इससे पहले मंगलवार को इस सरकारी अखबार ने पीएम मोदी को 1962 युद्ध से सबक लेने की नसीहत भी दी थी.
इधर राज्यसभा में रक्षामंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत भारत ने 1962 के युद्ध से सबक लिया है और देश की सेना हर हालात से निपटने में सक्षम है.
भारत और चीन के बीच डोकलाम में जारी ताजा गतिरोध सात हफ्तों से जारी है. चीनी अखबार में अपने संपादकीय में लिखा कि दोनों देशों के बीच युद्ध का काउंटडाउन शुरू हो चुका है.
भारत ने अभी भी अपनी सेना पीछे नहीं किया तो बाद में पछताएगा. धीरे-धीरे भारत के साथ शांतिपूर्ण हल का रास्ता बंद होता जा रहा है.
अखबार ने यह भी लिखा है कि भारत ने लगातर चीन की चेतावनियों को नजरअंदाज किया है. संपादकीय में कहा गया है, ‘जिस किसी के बार भी देखने के लिए आंखें हैं और सुनने के लिए कान हैं, उस तक यह संदेश पहुंच जाना चाहिए था.
लेकिन भारत को होश में आने से इनकार कर रहा है और अपने सैनिकों को वहां से वापस नहीं बुला रहा है.’
भारत के रक्षामंत्री अरुण जेटली ने आश्वस्त किया है कि हमारी सेना किसी भी खतरे से निपटने में पूरी तरह से सक्षम है. उन्होंने कहा कि 1962 युद्ध से हमने सबक लिया है.
इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि अब हम 1962 वाले भारत नहीं रहे. हालाकि अरुण जेटली ने सीधे तौर पर डोकलाम पर बोलने से परहेज किया.
उन्होंने कहा, ‘भारत ने चीन के साथ 1962 के युद्ध से यह सबक सीखा कि अपने सशस्त्र बलों को पूर्ण सक्षम बनाना होगा क्योंकि आज भी हमारे देश के समक्ष हमारे पड़ोसी देशों की ओर से चुनौतियां हैं.’ जेटली ने कहा कि सशस्त्र बल 1965 और 1971 (भारत-पाक युद्ध) के घटनाक्रमों से और मजबूत हुए.
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