संसद का बजट सत्र आज से शुरू होने जा रहा है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सुबह 11 बजे संसद भवन के सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे। इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगे।
ऐसा पहली बार होगा जब राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद सरकार आर्थिक सर्वे पेश करेगी। वहीं विपक्षी दलों ने इस बात का संकेत दिया कि संसद के इस सत्र में नोटबंदी का मुद्दा जोरशोर से उठेगा। आपको बता दें कि नोटबंदी के मुद्दे पर पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान कोई कामकाज नहीं हो सका था।
सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान कांग्रेस और माकपा के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने सत्र के दौरान नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की और कहा कि वे फिर से इस मुद्दे को उठायेंगे।
नोटबंदी की सबसे मुखर आलोचक तृणमूल कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक में हिस्सा नहीं लिया और कहा कि उसके सांसद बजट सत्र के पहले दो दिन नोटबंदी के विरोधस्वरूप संसद में उपस्थित नहीं रहेंगे।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार को बजट सत्र समय से पहले नहीं बुलाना चाहिए था।
कांग्रेस नेता ने 2012 में उत्पन्न ऐसी ही स्थिति का जिक्र किया जब तत्कालीन संप्रग सरकार ने राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बजट सत्र को टाल दिया था।
आजाद ने कहा कि हमने सरकार से कहा है कि उन्हें बजट सत्र बुलाने के बारे में ऐसी घोषणा से बचना चाहिए था जो पांच राज्यों में चुनाव के दौरान समान अवसर उपलब्ध कराने को प्रभावित करता हो।
कांग्रेस के एक अन्य नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और माकपा महासचिव सीताराम येचूरी ने मांग की कि बजट सत्र के पहले हिस्से में नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा करायी जानी चाहिए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सरकार को बजट सत्र के दूसरे हिस्से से पहले एक और सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।
येचूरी ने कहा कि हमने सरकार को बताया है कि नोटबंदी के मुद्दे पर दो दिनों तक चर्चा करायी जानी चाहिए क्योंकि सरकार के इस कदम के कारण पूरे भारत के लोग प्रभावित हुए हैं।
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