बीजिंग. चीन ने भारत को वॉर्निंग दी है। चीन के स्टेट मीडिया ने कहा, अगर भारत ने उसके तीनों जर्नलिस्ट को बाहर निकाला तो इसके गंभीर नतीजे होंगे।
भारत ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि चीन भारत को न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में मेंबरशिप के लिए सपोर्ट नहीं करता।
भारत ने 3 चीनी जर्नलिस्ट को 31 जुलाई तक देश छोड़ने को कहा है। भारत ने ये भी कहा है कि तीनों जर्नलिस्ट का वीजा रिन्यू नहीं किया जाएगा।
चीन ने कहा, अगर उसके जर्नलिस्ट को देश से बाहर निकाला जाता है तो भारतीयों को भी वीजा मिलने में परेशानी होगी। चीन में भारत के कई जर्नलिस्ट रहते हैं।
ये बातें चीन के स्टेट मीडिया ग्लोबल टाइम्स में कही गई हैं। स्टेट मीडिया ने ये भी लिखा है,अगर नई दिल्ली एनएसजी मेंबरशिप नहीं मिलने पर चीन से बदला ले रही है तो इसके गंभीर नतीजे होंगे।
इस बार वीजा का मुद्दा है। हम भी बता देंगे कि क्या एक्शन लेना चाहिए।हम भी भारतीयों को बता देंगे कि चीनी वीजा लेना इतना आसान नहीं होता।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, चीन के साउथ एशिया एक्सपर्ट हू शीशेंग ने कहा, "जब दोनों देशों के हेड की जल्द मुलाकात होनी है, तो ऐसे में भारत का ये फैसला सही नहीं है। मैं इसके पीछे कोई मजबूत कारण नहीं देखता। मीडिया को दोनों देशों के बीच पुल का काम करना चाहिए।
भारत ने सिक्युरिटी एजेंसियों के अलर्ट पर चीन के तीन जर्नलिस्ट को देश छोड़ने को कहा है। इन जर्नलिस्ट के नाम वाउ कियांग, लु तांग और शी योनगांग हैं। तीनों का वीजा एक्सपायर हो गया है।वाउ और लु शिन्हुआ के दिल्ली ब्यूरो में काम करते हैं। योनगांग मुंबई में रिपोर्टर हैं।
भारत ने चीन के मामले में पहली बार इस तरह का कदम उठाया है। आरोप है कि ये लोग संदिग्ध गतिविधियों में भी शामिल थे।सूत्रों के मुताबिक- इस कार्रवाई का यह मतलब नहीं है कि शिन्हुआ के जर्नलिस्ट भारत में काम नहीं कर सकते। एजेंसी इनकी जगह पर नए अप्वॉइंटमेंट्स कर सकती है।
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