अंकारा. तुर्की में आर्मी ने तख्तापलट की कोशिश की है। प्रेसिडेंट रैचेप तैयाप एर्दोआन के घर के पास बम गिराया गया है। इस हमले में कितना नुकसान हुआ है, अभी इसका पता नहीं चला है। शुक्रवार रात आर्मी के एयर अटैक में 17 पुलिस अफसरों की जान चली गई।
इस्तांबुल में सेना की गोलीबारी में दो सिविलियन की मौत हो गई। पार्लियामेंट के बाहर दो ब्लास्ट हुए हैं। अब तक 42 मौतें हुई हैं। अंकारा में कई बड़े मिलिट्री अफसरों को विद्रोही सेना ने बंधक बना लिया। आर्मी ने सरकारी टीवी से जारी एक बयान में दावा किया कि उसने सत्ता पर कब्जा कर मार्शल लॉ लागू कर दिया है और अब तुर्की का नया संविधान होगा।
इस बीच, तख्तापलट में शामिल चार विद्रोही आर्मी अफसरों को स्पेशल फोर्सेस के जवानों ने मार गिराया। हालांकि, तुर्की के प्रेसिडेंट ने तख्तापलट की कोशिशों को नाकाम करार दिया है। जनता ने भी आर्मी का विरोध किया है।
भारी विरोध की वजह से तख्तापलट की कोशिश करने वाली सेना को पीछे हटना पड़ा है। तुर्की प्रेसिडेंट की अपील के बाद लोग विद्रोही सेना के खिलाफ सड़कों पर उतर आए और भारी विरोध करने लगे। कई लोग टैंकों के नीचे लेट गए। कुछ ने सेना की गाड़ियों को आगे बढ़ने से रोक दिया।
उधर, तुर्की के प्रेसिडेंट को एक स्पेशल प्लेन से सेफ लोकेशन पर पहुंचा दिया गया है।इससे पहले विद्रोही सेना ने अंकारा में पार्लियामेंट पर बमबारी भी की। आम लोगों पर भी गोलियां बरसाई गईं।भारी विरोध के बाद विद्रोहियों ने सरेंडर कर दिया है। सरकार ने नए एक्टिंग आर्मी चीफ ऑफ स्टॉफ को अप्वाइंट किया है।
प्रेसिडेंट की एके पार्टी 2002 में सत्ता में आई। इसके बाद से प्रेसिडेंट अपने पास ही सारे अधिकार रखने की कोशिश में हैं।
सत्ता में आते ही प्रेसिडेंट ने ही कई आर्मी अफसरों पर मुकदमे चलाए। इससे आर्मी में असंतोष बढ़ा। उन्होंने फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन पर भी बंदिशें लगाई हैं।
सत्ता में आते ही प्रेसिडेंट ने ही कई आर्मी अफसरों पर मुकदमे चलाए। इससे आर्मी में असंतोष बढ़ा। उन्होंने फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन पर भी बंदिशें लगाई हैं।
एके पार्टी के नेतृत्व में देश का इस्लाम की तरफ झुकाव बढ़ा है। इसका सेक्युलर नेता विरोध करते रहे हैं। तुर्की और अमेरिकी आर्मी एक साथ काम कर रही है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से एर्दोआन के ओबामा समेत दुनिया के बाकी नेताओं से अच्छे रिश्ते नहीं हैं।
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