गुवाहाटी। नीलांचल पर्वत पर विराजमान कामाख्या देवी की अलौकिकता अन्य सभी देवियों से अलग है। यह एक ऐसी देवी है जिनकी पहचान उन्हें हर माह होने वाली मासिक धर्म से होती है।
इस देवी का मासिक धर्म सामान्यतौर पर आषाढ़ माह के सातवें दिन से शुरू होता है। इस साल के हिंदू पंचांग के अनुसार देवी का मासिक धर्म 22 जून को शुरू हो गया है।
इसी दौरान यहां अंबुबाची महोत्सव की शुरूआत भी हो गई है। साधुओं ने कामाख्या मंदिर पर अंबुबाची मेले की पूर्वसंध्या पर जुलूस निकाला।
पुजारियों का कहना है कि इस क्षेत्र में सभी हिंदू मंदिर चार दिन बंद रहेंगे क्योंकि मां कामाख्या जून में मासिक धर्म से गुजरेगी।
मान्यता है कि भगवान विष्णु के चक्र से खंडित होने पर सती की योनि नीलांचल पहाड़ पर गिरी थी। 51 शक्ति पीठों में कामाख्या महापीठ को सर्वश्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि यहां पर योनि की पूजा होती है।
यही वजह है कि अम्बुवासी मेले के दौरान तीन दिन मंदिर में प्रवेश करने की मनाही होती है।
कामरूप उपायुक्त एम अंगामुथु ने कहा ' मेले के दौरान हमें 25 लाख तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है।
हमने मेले का सुचारू रूप से आयोजन करने के लिए सुरक्षा और भीड-प्रबंधन की योजना पूरी तरह से सुनिश्चित कर ली है।
मंदिर प्रबंधन के सदस्य ने कहा कि मंदिर का दरवाजा मेले के पांचवें दिन खोला जाएगा। वहीं स्थानीय अधिकारियों ने स्वच्छता की चुनौती के लिए खुद को तैयार कर लिया है।
सीएम सर्वानंद सोनोवाल ने कहा भीड़ के बावजूद मंदिर का परिसर साफ और स्वच्छ बना रहे, इसके लिए हमने स्वच्छता अधिकारियों को काम सौंपा है।
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