नई दिल्ली. बिहार में नीलगायों को मारने का ऑर्डर देने पर मोदी सरकार के दो मंत्री आमने-सामने हो गए हैं। मेनका गांधी ने आरोप लगाया है कि एनवायरन्मेंट मिनिस्ट्री राज्यों को लेटर लिखकर जानवरों को मारने के लिए कह रही है। दूसरी ओर, एनवायरन्मेंट मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने आरोपों को गलत बताया है। उन्होंने कहा है कि सारे आदेश कानून के दायरे में दिए गए हैं।
मेनका गांधी ने कहा, एनवायरन्मेंट मिनिस्ट्री हर राज्य को लेटर लिखकर कह रही है कि आप बताओ, किसको मारना है। हम इजाजत देंगे।बंगाल में उन्होंने कह दिया कि हाथियों को मार दो।
हिमाचल में उन्होंने कह दिया कि बंदरों को मार दो, गोवा में कह दिया मोरों को मारो।महाराष्ट्र के चंद्रपुर में उन्होंने अभी 53 जंगली सूअर मारे हैं। 50 और को मारने की इजाजत मिली है। हालांकि, उनके अपने वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने कहा कि हम नहीं मारना चाहते। आप हमारे पीछे मत पड़िए।
पता नहीं क्या हवस सी आ गई है मारने की?एनवायरन्मेंट मिनिस्टर क्या रोल हो सकता है, ये आप ही बताइए। ये पहली दफा है कि एनवायरन्मेंट मिनिस्ट्री जानवरों को मारने की इजाजत दे रही है। बता दें कि मेनका वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मिनिस्टर हैं, लेकिन एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट रही हैं।
इस मामले में विवाद तब बढ़ा, जब हाल ही में बिहार के मोकामा में नीलगायों को मारने का आदेश जारी हुआ। मेनका गांधी ने कहा कि बिहार में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर जानवरों को मारा गया है। यहां कोई इसके लिए तैयार नहीं हुआ तो बाहर से लोगों को बुलाया गया।
मेनका ने कहा,पहली दफा है कि एन्वायरन्मेंट मिनिस्ट्री न सिर्फ इसमें शामिल है, बल्कि लीड ले रही है कि इस जानवर को मारो या उसे मारो। उनका काम है जंगल को बचाना। आग को रोकना। अगर अाप जंगल में आग नहीं लगाएंगे तो जानवर बाहर नहीं निकलेंगे। केंद्र सरकार पैसा देती है आग लगाने के लिए।
मोकामा में हैदराबाद से आए शूटरों ने पिछले तीन दिन में 200 से ज्यादा नीलगायों को मारा है। दो हजार से ज्यादा नीलगायों को जंगली इलाकों में खदेड़ा जा चुका है।
हैदराबाद के शूटर नवाब शफाथ अली खान और उनके साथी पिछले 4 दिन ऑपरेशन नीलगाय में जुटे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, मोकामा टाल में 10 हजार से ज्यादा नीलगाय हैं। ये नीलगाय हर साल लाखों रुपए की फसल बर्बाद कर देती हैं।
मेनका के आरोपों के बाद एनवायरन्मेंट मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ''जब राज्य सरकार हमें लेटर लिखकर इन जानवरों द्वारा फसल बर्बाद करने से किसानों को हो रही परेशानी के बारे में बताती है, तभी हम इस तरह की परमिशन देते हैं।
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