मुंबईः वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के बावजूद मौजूदा वित्त वर्ष में अन्य एशियाई मुद्राओं के मुकाबले रुपए की स्थिति खासी मजबूत है। इससे फॉरेन एक्सचेंज मार्कीट में आर.बी.आई. और वित्त मंत्रालय के प्रबंधन की धाक जम गई है।
रुपए ने इस दौरान 1.04 फीसदी का कुल रिटर्न हासिल की। रुपए ने एशियाई बाजारों में चौथा स्थान हासिल किया। इंडोनेशिया का रुपया, जापानी येन और सिंगापुर का डॉलर एशियाई की टॉप 3 करंसीज में शामिल रहे हैं। इन करंसीज के बाद रुपया चौथे स्थान पर रहा।
रुपए के मुकाबले चीनी करंसी की स्थिति खासी खराब रही। ब्लूमबर्ग के डेटा के मुताबिक युआन ने 0.24 फीसदी का रिटर्न हासिल किया। करंसीज के कुल रिटर्न में स्पॉट एक्सचेंज रेट और इंटरेस्ट इनकम भी शामिल है।
मेकलाइ फाइनैंशल के एग्जिक्यूटिव डायरैक्टर केएन डे ने कहा, ''रुपए को प्रतिस्पर्धी बनाए रखना का सारा श्रेय आर.बी.आई. के गवर्नर रघुराम राजन को जाता है। जिन्होंने अनिश्चितता के दौर में भी मजबूत स्थिति कायम रखी।''
डे ने कहा कि गवर्नर रघुराम राजन के नेतृत्व में आर.बी.आई. ने करंसी फ्यूचर मार्कीट में दखल दिया है ताकी अस्थिरता को कम से कम किया जा सके। आर.बी.आई. कभी मार्कीट में दखल को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करता है, इसे काम को सरकारी बैंक ही अंजाम देते हैं।
एक्सचेंज रेट के लिए 2013 सबसे अस्थिरता वाला साल रहा है, जब तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के नेतृत्व में रुपए और डॉलर के बीच 59-60 का अंतर था।
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