योग्य युवक और युवतियों के विवाह में बाधा के कई कारण हैं जिन्हें दूर करने का प्रयास किया जा सकता है। बृहस्पति और शिव-पार्वती को प्रसन्न करने से विवाह मार्ग में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
कई बार बहुत प्रयासों के बावजूद विवाह का योग नहीं बन पाता है। ऐसे में व्यक्ति की निराशा बढ़ती है। दरअसल कन्या की कुंडली में विवाह कारक बृहस्पति होता है और पुरुष की कुंडली में विवाह का विचार शुक्र से किया जाता है। यदि दोनों ग्रह शुभ हों और उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ती हो तो विवाह का योग जल्दी बनता है। वैसे विवाह में देरी के लिए बहुत से अन्य ग्रह भी कारक होते हैं।
बृहस्पति को देवों का गुरु माना गया है। इनकी कृपा से विवाह की राह में आ रही सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। बृहस्पति के पूजन के लिए गुरुवार का दिन शुभ है। जिन जातकों के विवाह में किसी भी तरह की बाधा या अड़चन आ रही है उन्हें गुरुवार को बृहस्पति को प्रसन्ना करने के लिए प्रयास करना चाहिए। बृहस्पति की प्रसन्नता के लिए पीले रंग की वस्तुएं जैसे हल्दी, पीला फल, पीले रंग का वस्त्र, पीले फूल, केला, चने की दाल इत्यादि चढ़ानी चाहिए।
विवाह के मार्ग में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए। व्रत में पीले भोज्य पदार्थों का ही सेवन करें, जैसे चने की दाल, पीले फल इत्यादि ग्रहण करना चाहिए। बृहस्पति ग्रह की पूजा के अतिरिक्त शिव-पार्वती का पूजन करने से भी विवाह की मनोकामना पूर्ण होती है।
शिव और पार्वती इस संसार के लिए आदर्श दंपति हैं और उनके समक्ष विवाह मार्ग की बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करना आपको सौभाग्य प्रदान करता है। शिवजी की प्रसन्नता के लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें।
कई मौकों पर विवाह में देरी होने का कारण उम्मीदवार का मांगलिक होना भी है। मांगलिक युवक और युवतियों के विवाह के योग आयु के 27, 29, 31, 33, 35 व 37 वें वर्ष में बनते हैं। अपने ग्रहों की दशा के अनुरूप ये पता लगा सकते हैं कि उनके लिए अच्छे योग कब बन रहे हैं।
कुंडली से जानें देरी की वजह
- शनि सप्तम भाव में स्थित हो, भले ही स्वगृही हो, परंतु सूर्य से या मंगल से सप्तमस्थ होने के कारण विवाह में बाधा आती है।
- यदि किसी कन्या की कुंडली में सप्तम भाव में मंगल, शनि व शुक्र के साथ युति कर रहा हो तो कन्या का विवाह बड़ी उम्र में होता है।
- यदि कन्या की कुंडली में लग्न में मंगल, सूर्य व बुध हो और गुरु द्वादश भाव में हो तो कन्या का विवाह देरी से होता है।
- यदि कुंडली में शनि व सूर्य पारस्परिक दृष्टि संबंध रखते हों व लग्न या सप्तम भाव प्रभावित हो रहा हो तो विवाह की संभावनाएं बहुत कम होती हैं।
विवाह की बाधा के लिए उपाय
- कन्या गुरुवार के दिन (शुक्ल पक्ष) जल में हल्दी डालकर नहाए। ये उपाय शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से करें।
- कन्या गुरुवार के दिन स्टील के लोटे में जल, गंगाजल व हल्दी मिलाकर आधा जल केले व आधा जल पीपल पर चढ़ाए। जल चढ़ाते समय ऊँ बृं बृहस्पतये नम: का जाप करते रहें व शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।
- कन्या गुरुवार के दिन आटे के दो पेड़े बनाकर, हल्दी का तिलक लगाकर व चने की दाल पेड़े पर रखकर सफेद गाय को सवेरे खिलाए व शीघ्र विवाह की प्रार्थना करे।
- कन्या गुरुवार के दिन पांच बेसन के लड्डू और एक सेहरे की कलगी भगवान विष्णु को अर्पित करे और शीघ्र विवाह की प्रार्थना नारायण से करे। ऐसा चार गुरुवार करे।
- कन्या हर गुरुवार को सफेद गाय को चने की दाल खिलाए व गणेश जी को बेसन का लड्डू अर्पित करे, भोग लगाए व शीघ्र विवाह की प्रार्थना करे।
- लड़की व लड़का हर गुरुवार गणेश सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- यदि युवक या युवती की कुंडली में सूर्य की वजह से विवाह होने में बाधा है तो रोजाना ब्रह्ममुहूर्त में सूर्य को जल चढ़ाएं।
- प्रति शनिवार को शिवजी पर काले तिल चढ़ाएं, इससे शनि की बाधा समाप्त होती है और विवाह का योग बनता है।
- शनिवार के दिन नदी के बहते जल में नारियल प्रवाहित करे, इससे राहू की बाधा खत्म होती है।
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