गांव रोहना में किसानों को जागरूक करने के लिए 1953 में बनबारी लाल चौधरी ने ग्राम सेवा समिति की स्थापना की थी.
बाद में इस संस्था ने गांव की महिलाओं को जागरूक और उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए एक विशेष अखबार निकालना शुरू कर दिया. जिसके लिए एक विशेष संपादक मंडल भी तैयार हुआ जिसकी अधिकांश सदस्य महिलाएं हैं.
खास बात ये है कि, इस अखबार को किसी के घर नहीं भेजा जाता, बल्कि इसे गांव में दीवारों पर चस्पा कर दिया जाता है. महिलाओं द्वारा निकाले जाने वाले इस अखबार का नाम भी 'बिन्ना' रखा गया है जिसका मतलब होता है सहेली.
अखबार की ही एक कार्यकर्ता चांदनी परसाई ने बताया कि 'बिन्ना' का मासिक प्रकाशन किया जाता है. जिसमें आसपास की पढ़ी-लखी महिलाएं रिपोर्टर बनकर गांव की ही दूसरी महिलाओँ की समस्याओं और उनके अनुभव के बारे में जानकारी लेकर आती हैं.
इसी के साथ अखबार में एक कॉलम में महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी भी दी जाती है. इसके अलावा कुपोषण, शासन की योजनाओं आदि की जानकारी भी दी जाती है.
अखबार तैयार होने के बाद इसे गांव में चौराहों और सार्वजानिक स्थानों पर चस्पा कर दिया जाता है.
पहले इस अखबार की मात्र 200 प्रतियां निकाली जाती थीं. लेकिन आसपास के ग्रामीणों की मांग पर अब इसे दूसरे गांवों में भी भेजा जाने लगा है. अखबार की मांग बढ़ने पर महिला कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है जिस पर उन्हें बहुत गर्व है.
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