....

उर्दू शायर मुनव्वर राणा ने भी लौटाया साहित्य अकादमी सम्मान

नई दिल्ली: लेखकों द्वारा साहित्य अकादमी सम्मान लौटाने के क्रम में रविवार को एक नाटकीय मोड़ तब आ गया, जब उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने टीवी पर सीधे प्रसारण के दौरान अपना साहित्य अकादमी सम्मान लौटा दिया और साथ में एक लाख रुपये का चेक भी दिया। राणा ने घोषणा की कि वह भविष्य में किसी भी तरह का सरकारी सम्मान ग्रहण नहीं करेंगे।

समकालीन उर्दू कविता के एक बड़े नाम राणा रविवार को टेलीविजन (एबीपी न्यूज) पर एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे। इसमें कई लेखक और राजनेता भी शामिल हुए। इसी दौरान राणा ने कहा कि उन्होंने अपना सम्मान लौटाने का निर्णय लिया है और वह वर्तमान में देश के हालात से क्षुब्ध हैं।

राणा ने कहा, 'मैं रायबरेली से आता हूं। मेरे शहर में राजनीति सड़क की नालियों में बहती है लेकिन मैं कभी उसकी परवाह नहीं करता।' उन्होंने कहा, 'लेखक और साहित्यकार किसी ना किसी पार्टी से जुड़े रहे हैं। कुछ लोग कांग्रेस तो कुछ लोग कथित तौर पर बीजेपी से जुड़े रहे हैं।'

राणा ने कहा, 'मैं एक मुसलमान हूं और कुछ लोग मुझे पाकिस्तानी करार दे सकते हैं। यहां देश के कई इलाकों में बिजली का कनेक्शन नहीं है, लेकिन मुसलमानों को यहां दाउद इब्राहीम से जोड़ा जाता है।' राणा को साल 2014 में उनकी किताब 'शाहदाबा' के लिए साहित्य अकादमी सम्मान से नवाजा गया था। पहले उन्होंने कहा था कि वे अपना सम्मान नहीं लौटाएंगे क्योंकि इससे भारत में बढ़ रही धार्मिक असहिष्णुता के मुद्दे का हल नहीं निकलेगा।

उन्होंने कहा, 'मैं यह कसम खाता हूं कि मैं भविष्य में कोई भी सरकारी सम्मान नहीं लूंगा, फिर भले ही किसी की भी सरकार सत्ता में हो।' अब तक लगभग 34 लेखक अपने साहित्य अकादमी सम्मान को लौटाने की घोषणा कर चुके हैं। उनका यह विरोध लेखक एम.एम. कलबुर्गी की हत्या और दादरी हत्याकांड जैसी घटनाओं के संबंध में है।
Share on Google Plus

click News India Host

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment