
आपको बता दें 2006 की इस घटना में 188 लोगों की मृत्यु हुई थी, जबकि कई लोग घायल हो गये थे. विशेष मकोका न्यायाधीश यतिन डी शिंदे ने पिछले साल 19 अगस्त को मुकदमे की सुनवाई पूरी की थी. आठ साल तक चले मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने 192 गवाहों का परीक्षण किया, जिसमें आठ भारतीय पुलिस सेवा और पांच भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ-साथ 18 चिकित्सक शामिल हैं. बचाव पक्ष के वकीलों ने 51 गवाहों का परीक्षण किया और एक व्यक्ति को अदालत के गवाह के तौर पर बुलाया गया. गवाहों की गवाही तकरीबन 5500 पन्नों में चली.
धमाके में गयी थी 188 लोगों की जान
मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों के प्रथम श्रेणी के डिब्बों में 11 जुलाई
2006 को सात आरडीएक्स बम विस्फोट हुए थे, जिसमें 188 लोगों की मौत हुई थी
और 829 लोग घायल हुए थे. विस्फोट खार रोड-सांताक्रूज, बांद्रा-खार रोड,
जोगेश्वरी-माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम जंक्शन और बोरीवली
के बीच हुए.
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