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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व के दो वर्ष

 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के  नेतृत्व  के दो वर्ष 


 विकास और विरासत का संगम



मध्यप्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक इतिहास में बीते दो वर्ष निर्णायक नेतृत्व, स्पष्ट दृष्टि और सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक बनकर उभरे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश ने न केवल विकास की रफ्तार पकड़ी है, बल्कि अपनी सनातन विरासत को केंद्र में रखकर भविष्य की मजबूत नींव भी रखी है।


इन दो वर्षों की सबसे बड़ी और दूरगामी उपलब्धि है—सिंहस्थ 2028 की समयबद्ध और सुविचारित तैयारियों का आरंभ। उज्जैन में आयोजित होने वाला सिंहस्थ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि विश्व का सबसे विशाल मानव समागम है। करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति को देखते हुए सरकार ने इस आयोजन को स्थायी अधोसंरचना, वैश्विक पहचान और आर्थिक सशक्तिकरण के अवसर के रूप में अपनाया है।


शिप्रा नदी के शुद्धिकरण से लेकर स्थायी घाटों के निर्माण, सड़क–रेल–हवाई संपर्क के विस्तार, स्मार्ट व्यवस्थाओं और पर्यावरण-संतुलित योजनाओं तक—सरकार की तैयारी यह दर्शाती है कि सिंहस्थ 2028 केवल चार सप्ताह का आयोजन नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए विकास की अमिट धरोहर बनेगा।


डॉ. मोहन यादव सरकार ने विकास को केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रखा। लाड़ली बहना योजना ने प्रदेश की करोड़ों महिलाओं को आत्मसम्मान और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है। किसान कल्याण योजनाओं से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। युवाओं के लिए रोजगार और कौशल विकास के नए द्वार खुले हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और औद्योगिक निवेश के क्षेत्र में उठाए गए कदम प्रदेश को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर रहे हैं।


यह सरकार मानती है कि विकास और संस्कृति विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं। महाकाल लोक, धार्मिक पर्यटन का विस्तार और सनातन मूल्यों का संरक्षण इस सोच के जीवंत उदाहरण हैं। उज्जैन आज केवल एक धार्मिक नगर नहीं, बल्कि वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभर रहा है।


इन दो वर्षों में शासन की पहचान बनी है—त्वरित निर्णय, स्पष्ट नीति और प्रभावी क्रियान्वयन। यही कारण है कि जनता के बीच विश्वास और उम्मीद दोनों मजबूत हुए हैं।


आज मध्यप्रदेश केवल वर्तमान का प्रबंधन नहीं कर रहा, बल्कि भविष्य की रचना कर रहा है। सिंहस्थ 2028 की तैयारियाँ इस सत्य की घोषणा हैं कि डॉ. मोहन यादव का नेतृत्व प्रदेश को आस्था, विकास और आत्मगौरव के नए शिखर की ओर ले जा रहा है।


मध्यप्रदेश के लिए यह केवल दो वर्ष नहीं, बल्कि नव निर्माण का स्वर्णिम आरंभ हैं।

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