परत-दर-परत ऐसे खुली सफेदपोश आतंक की कहानी
करीब 3000 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री। साजिश में शामिल कई डॉक्टर। कहने को सफेदपोश... लेकिन दिमाग में जहर। एक के बाद एक गिरफ्तारियां। लाल किले के पास धमाका और चौंका देने वाले खुलासे। ...देश की सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले कुछ दिनों में आतंकी नेटवर्क को परत-दर-परत इसी तरह बेनकाब किया है।
शुरुआत कहां से हुई?
19 अक्तूबर 2025। रविवार का दिन। श्रीनगर से कोई 16-17 किलोमीटर दूर। इलाके का नाम- बनपोरा नौगाम। गिरते तापमान के बीच खामोश सड़कों पर भड़काऊ और धमकी देने वाले कुछ पोस्टर नजर आते हैं। इसके बाद एक एफआईआर दर्ज होती है। यहीं से सफेदपोश आतंकी मॉडल की परतें खुलने की शुरुआत होती है। दरअसल, इन पोस्टरों में पुलिस और सुरक्षा बलों को खुलेआम धमकी दी गई थी। स्थानीय लोगों को चेताया गया था कि सुरक्षा बलों का सहयोग न करें। उन्हें अपनी दुकानों पर बैठने न दें।
पोस्टर चिपकाए जाने के इस मामले के बाद ही कड़ियां सामने आती गईं। 27 अक्तूबर को पहले मौलवी इरफान अहमद वाघे को शोपियां से, फिर जमीर अहमद को गांदरबल से उठाया गया। यह सब कुछ 20 से 27 अक्तूबर के बीच हुआ। कड़ी पूछताछ में ये आरोपी राज उगलते गए। 6 नवंबर को डॉ. आदिल अहमद सहारनपुर से पकड़ा गया। एक दिन बाद 7 नवंबर को अनंतनाग के एक अस्पताल से एक राइफल और विस्फोटक की बरामदगी हुई।
पोस्टर लगाने वाला कहां से पकड़ाया, उसकी शादी में क्या हुआ?
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 5 नवंबर को डॉ. आदिल अहमद को सहारनपुर से गिरफ्तार किया। उस पर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से संबंध रखना आरोप है। वह 26 सितंबर से छुट्टी पर था। 4 अक्तूबर को ही उसकी एक महिला डॉक्टर से शादी हुई थी। आरोप है कि डॉ. आदिल ने ही श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर लगाए थे। सीसीटीवी फुटेज के जरिए उसकी पहचान हुई। वह सहारनपुर के अंबाला रोड स्थित एक निजी अस्पताल में काम करता था। मानकमऊ में रहता था। पेशे से डॉक्टर और तनख्वाह पांच लाख रुपये। फिर भी उसका ब्रेन वॉश हो गया। कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि 4 अक्तूबर को जिस दिन डॉ. आदिल की शादी हुई, उसी दिन से सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल सक्रिय हुआ। हालांकि, इस शादी में मौजूद रहे डॉ. आदिल के सहकर्मी डॉ. बाबर ने कहा कि शादी के समारोह के दौरान कुछ भी संदेहास्पद नहीं लगा था।
जांच का सबसे निर्णायक मोड़ क्या था?
आरोपियों की निशानदेही पर 30 अक्तूबर को प्रोफेसर डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई उर्फ मुसैब पकड़ाया। डॉ. मुजम्मिल कश्मीरी डॉक्टर है, जो यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था। वह टॉपर था। चार साल पहले पुलवामा से दिल्ली आया था। परिवार का दावा है कि इस दौरान मुजम्मिल से उनका संपर्क नहीं हुआ।
27 अक्तूबर को गिरफ्तार हुए मौलवी वाघे, 30 अक्तूबर को गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल और 5 नवंबर को सहारनपुर से गिरफ्तार हुए डॉ. आदिल से पूछताछ में अहम खुलासे हुए। यह पता चला कि डॉ. मुजम्मिल ने फरीदाबाद में दो कमरे किराए पर लिए थे। यह आतंकी नेटवर्क का सबसे अहम सुराग और जांच का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ था। यहां से मिले सुरागों के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस, उत्तर प्रदेश पुलिस, हरियाणा पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां ने साझा अभियान चलाया। एजेंसियां 8 नवंबर को फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में पहुंचीं। यहां से कुछ और बंदूक, पिस्तौल और विस्फोटक सामग्री बरामद हुई।
बड़ी मात्रा में खेप बरामदगी कब हुई?
9 नवंबर को फरीदाबाद के धौज के रहने वाले मदरासी नाम के व्यक्ति को उसके घर से पकड़ा गया। अगले ही दिन यानी 10 नवंबर को विस्फोटक तैयार करने की बड़ी मात्रा में खेप मिली। मात्रा थी 2563 किलो। जांच में मिले सुरागों के बाद फरीदाबाद से हफीज मोहम्मद इश्तियाक को गिरफ्तार किया गया। इश्तियाक मेवात का रहने वाला है और अल-फलाह मस्जिद में इमाम बताया जाता है। यह भी बताया जा रहा है कि इश्तियाक के ही मकान का एक कमरा डॉ. मुजम्मिल ने किराए पर ले रखा था। यह बड़ी खेप उसी कमरे से जब्त हुई। छापों के दौरान 358 किलो विस्फोटक सामग्री और डेटोनेटर/टाइमर भी जब्त किए गए। इस तरह पूरे मॉड्यूल के पास फरीदाबाद के अलग-अलग कमरों से करीब 3000 किलो के विस्फोटक पदार्थ और बम बनाने के उपकरणों को पकड़ा गया।

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