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किस ओर करवट लेगी बिहार की दलित सियासत

 किस ओर करवट लेगी बिहार की दलित सियासत


बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) का बिगुल फूंका जा चुका है। पार्टियां अपनी-अपनी बिसात बिछाने में जुट गई है। दलित वोट बैंक (Dalit Vote Bank) पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। NDA और इंडिया गठबंधन लगातार बिहार की 19 फीसदी वोट बैंक को साधने में जुटी हुई हैं।
NDA में असहयोग की राह
NDA में दलित सियासत (Dalit politics) को लेकर केंद्रीय मंत्री व हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संरक्षक जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) असहयोग की राह पकड़े हुए हैं। आरक्षण की सुविधा से क्रीमी लेयर को वंचित रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दोनों ने अलग-अलग राह अपनाई।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ दिखे मांझी
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के साथ दिखे। उन्होंने इसे दलित हित में फैसला बताया। कहा कि यह फैसला दस साल पहले आ जाना चाहिए था। आज आरक्षण पर आए फैसले के खिलाफ वही लोग हैं, जिन्होंने इसका 76 साल तक लाभ लिया। उन्होंने कहा कि पिछले 76 साल से आरक्षण का फायदा चार जातियां ही क्यों उठा रही है? आज तक भुइयां, मुसहर, मेहतर जैसी जातियों के कितने IAS-IPS बने हैं। इन जातियों के कितने-कितने चीफ इंजीनियर हैं। इन जातियों की साक्षरता दर आज भी बहुत कम है।




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