प्रयागराज : मकर संक्रांति 14 जनवरी को 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने सूर्य के उत्तरायण में आने पर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। श्रद्धा और आस्था की अतुलित माया ने जनसागर के सरिता में उतर जाने का आभास कराया। पुण्य अमृत की बूंदों से तन-मन भीगा तो पोर-पोर विभोर और गीली हो उठी पलकों की कोर। अनुभूति में अध्यात्म की गहराई, जैसे जुड़ गई हो आत्म से परमात्म की डोर।
पौष पूर्णिमा इस बार सोमवार को थी और उससे ही संलग्न मकर संक्रांति के अनूठे संयोग पर मंगलवार को देश भर से जुटे श्रद्धालुओं ने पुण्यार्जन के दोहरे योग का सौभाग्य पाया। अमृत स्नान के लिए अस्त्र-शस्त्र और पूरी साज-सज्जा के साथ निकले संतों-संन्यासियों के आध्यात्मिक वैभव के साक्षी बन विभोर हुए और उनकी चरण रज को सिर-माथे लगा कर अघाया।
यह रथों-बग्घियों और सुसज्जित वाहनों के काफिले में भोर से ही संगम की ओर बढ़ चले संतों-संन्यासियों के साथ उनके दर्शन के लिए जुटे-डटे हर सनातन धर्मावलंबी चेहरे पर भी स्पष्ट रूप से झलका। सरकार की ओर से स्नानार्थियों पर हेलीकाप्टर से कई चरणों में पुष्प वर्षा ने इस भाव को समृद्ध कराया।
पूर्ण पौष की डुबकी लगाने के बाद अखाड़ों के शिविर, रैन बसेरा या कहीं सड़क किनारे सोए बैठे श्रद्धालुओं ने ‘रवि के माघ मकर गत’ होने का इंतजार किया। इस प्रतीक्षा अवधि का उपयोग अखाड़ों में नागा संन्यासियों के दर्शन, पंडालों में संतों के कथामृत वर्षण में भीग कर पुण्य को द्विगुणित करने में किया तो जनधार का प्रवाह विस्तार पाता रहा।कई किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद भी वृद्धजन, महिलामन और युवापन के उत्साह, हुलास व आह्लाद से मेला सजता रहा। इसमें अधिकतर सपरिवार या दोस्तों-रिश्तेदारों के संग आए, बच्चों को भी साथ लाए जो हर पल सनातन संस्कृति के संस्कार से सिंचित होकर अघाते रहे।दिव्य अनुभूति के साथ गौरव का पल जिसने आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्स्थापित वैदिक महाकुंभ में अटल संदेश गुंजाया, जिसमें पूरा देश एक हो आया। कदाचित महान संत की संकल्पना से अनुप्राणित सरोकार के तहत ‘शाही’ से इस बार ‘अमृत’ हो गए स्नान ने गौरवान्वित किया।महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए।
हर मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाकर वाहनों की गहन जांच की गई। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती से पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा। डीआईजी कुम्भ मेला वैभव कृष्ण, एसएसपी राजेश द्विवेदी समेत पुलिस टीम ने घोड़े के साथ मेला क्षेत्र में पैदल मार्च किया और अमृत स्नान जा रहे अखाड़ा साधुओं का मार्ग प्रशस्त किया।
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