देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पिछले एक साल से जारी हिंसात्मक उपद्रवों के कारण असुरक्षा का जो माहौल बना हुआ है उस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत कई बार गंभीर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। संघ प्रमुख ने मणिपुर की समस्या के समाधान हेतु त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। हाल में ही संघ के समर्पित कार्यकर्ता शंकर दिनकर काणे के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में संघ प्रमुख ने कहा कि मणिपुर में असुरक्षा के माहौल में रहकर भी संघ के कार्यकर्ता दोनों समूहों के बीच शांति ,सौहार्द और परस्पर विश्वास कायम करने के लिए रात दिन काम कर रहे हैं। और उन्हें अपने प्रयासों में अब सफलता मिलने लगी है।संघ प्रमुख ने मणिपुर में शिक्षा के प्रचार-प्रसार और राज्य के बच्चों को शिक्षित करने के लिए शंकर दिनकर काणे के सराहनीय योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि वे चालीस साल पहले मणिपुर में शिक्षा की जड़ें मजबूत करने के लिए वहां काफी समय तक रुके और इसी पुनीत भावना से वहां के बच्चों को महाराष्ट्र लेकर आए तथा यहां उनके आवास और शिक्षा के पर्याप्त प्रबंध किए। मणिपुर में संघ के कार्यों के अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि मणिपुर में चालीस पहले जो बदतर होती हालात थे उसमें सकारात्मक बदलाव लाने में काणे जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं का बहुत बड़ा योगदान है जो वहां जाकर वहां का हिस्सा बन गये और बदलाव लाने के लिए समर्पित भाव से जुटे रहे। संघ प्रमुख ने कहा कि पूर्वांचल को पंद्रह साल पहले समस्याओं वाला क्षेत्र कहा जाता था परन्तु अब स्थितियां बदल चुकी हैं। मणिपुर में बहुत बदलाव आया है परन्तु कुछ लोग मणिपुर में अशांति का वातावरण निर्मित कर वहां की प्रगति के मार्ग में बाधा खड़ी करना चाहते हैं लेकिन उनके प्रयास सफल नहीं होंगे। राज्य की जनता समझ चुकी है कि अशांति का माहौल रहते प्रगति नहीं हो सकती। मोहन भागवत ने कहा कि संघ के कार्यकर्ता असुरक्षित माहौल में भी संघ के कार्यकर्ता अपने काम में लगे हुए हैं।वे दोनों पक्षों को समझा बुझाकर उनके बीच क्रोध और द्वेष को कम करने तथा उनके बीच अविश्वास की खाई को पाटने की कोशिश कर रहे हैं। संघ के कार्यकर्ताओं क़ो अपनी कोशिशों में लगातार सफलता मिल रही है । संघ के कार्यकर्ताओं को अपने कार्यों से दोनों पक्षों का विश्वास अर्जित करने में कामयाबी मिली है। मणिपुर में सामाजिक समन्वय स्थापित करने और राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित करने में शंकर दिनकर काणे जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं के प्रयास फलीभूत हुये हैं।
गौरतलब है कि संघ प्रमुख ने लोकसभा चुनावों के परिणाम घोषित होने के बाद भी बाद अपने एक भाषण में कहा था कि मणिपुर एक साल से जल रहा है। वहां स्थितियां सामान्य करने के लिए प्राथमिकता से प्रयास करने होंगे। संघ के कार्यकर्ता कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए वहां जिस मुस्तैदी से डटे हुए हैं उसको रेखांकित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि संघ के कार्यकर्ता वहां दोनों पक्षों के लोगों की सेवा कर रहे हैं। केवल एनजीओ यह काम नहीं कर सकते। संघ के कार्यकर्ता इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नोट - लेखक राजनैतिक विश्लेषक है।
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