भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों का खंडन किया है। अमरीकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च का आरोप है कि माधबी पुरी बुच और धवल बुच के पास अदानी समूह से जुड़ी अपतटीय यानी ऑफ-शोर संस्थाओं में हिस्सेदारी है।
बुच ने एक बयान में कहा कि उनका जीवन और आय पहले से ही सार्वजनिक है। उन्होंने कहा कि विगत वर्षो में सेबी को हर जरूरी दस्तावेज सौंपे जा चुके हैं। सेबी प्रमुख और उनके पति ने कहा कि उन्हें आगे भी किसी भी तरह के वित्तीय दस्तावेज को सार्वजनिक करने में कोई झिझक नहीं होगी और उन दस्तावेज़ की भी जांच की जा सकती है, जब वे सेबी से जुड़े नहीं थे।
उल्लेखनीय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त को अपनी नवीनतम रिपोर्ट में आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की अडानी के ‘धन हेराफेरी घोटाले’ में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। वहीं अडानी ग्रुप की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि हिंडनबर्ग के आरोप सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का दुर्भावनापूर्ण, शरारती और जोड़-तोड़ करने वाला उपयोग है, ताकि तथ्यों और कानून की अवहेलना करते हुए व्यक्तिगत मुनाफ़ा कमाने के लिए पूर्व-निर्धारित निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। अडानी समूह इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करता है। यह बदनाम करने का दोबारा किया गया प्रयास है। मामले में पहले ही गहन जांच की जा चुकी है जिसमें आरोप निराधार साबित हुए हैं।
हिंडनबर्ग ने 2015 के निवेश का हवाला दिया। माधबी बुच की सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में 2017 में नियुक्ति की गई थी। उन्हें 2022 में सेबी का अध्यक्ष बनाया गया था।
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