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पद्मनाभ की तरह पुरी के इस मंदिर में है अथाह संपत्ति

 

जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में रखे सामान की 1978 में सूची बनाई गई थी। यह काम 70 दिनों में पूरा हुआ था। 13 मई 1978 से 23 जुलाई 1978 तक लगातार सूची बनाने का काम चलता रहा। भंडार से सोना, चांदी, हीरा, मूंगा और अन्य आभूषण मिले। भीतरी भंडार में 367 सोने के गहने मिले। इनका वजन करीब 128 किलोग्राम बताया जाता है। यहीं से 231 चांदी के सामान मिले। इनका वजन 221 किलोग्राम बताया गया। बाहरी भंडार में 87 सोने के गहने और 62 चांदी के सामान मिले। वर्ष 2021 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा को बताया कि जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 1978 में खोला गया था। तब 12,831 भरी सोने और अन्य कीमती धातु और 22,153 भरी चांदी यहां से मिला था। एक भरी करीब 12 ग्राम का होता है। 14 सोने और चांदी की वस्तुओं का वजन नहीं किया जा सका था। इसके साथ ही किसी भी सामान या गहने का मूल्य निर्धारण नहीं हुुआ था। 1978 के बाद से मंदिर के पास कितनी संपत्ति आई, इसका कोई अंदाजा नहीं है।



रत्न भंडार की संपति को लेकर 1926 में जो सूची बनी थी, वह पुरी कलेक्टोरेट के रिकॉर्ड रूम में रखी हुई है। ओडिशा के गजट में भी इसका प्रकाशन हुआ था, उसमें 837 सामग्री का जिक्र था। सोने की 150 सामग्री बाहरी भंडार में रखे हैं, जिनमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का स्वर्ण मुकुट भी शामिल है। जगन्नाथ जी का मुकुट 610 तोला, बलभद्र जी का 434 और सुभद्रा जी का 275 तोले का है। एक तोला बराबर 11.6638 ग्राम होता है। भीतर भंडार में 180 आभूषण हैं, जिनमें 74 शुद्ध सोने का आभूषण है।

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