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लोगों की उम्मीदों को पूरा करना सदन की जिम्मेदारी : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

 नई दिल्ली : गुरूवार, जून 27, 2024/ नवनिर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को निचले सदन के सदस्यों से लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। बिरला ने ध्वनिमत से अध्यक्ष पद की शपथ ली। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार और कोटा से सांसद बिरला का मुकाबला इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार के. सुरेश से था। हालांकि, विपक्ष ने मत विभाजन के लिए दबाव नहीं डाला और बिरला दूसरी बार अध्यक्ष चुने गए। इससे पहले वे 17वीं लोकसभा में अध्यक्ष रह चुके हैं।


बिरला ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार लगातार तीसरी बार बनी है। पिछले एक दशक में लोगों की उम्मीदें, आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उनकी उम्मीदों और आकांक्षाओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए सामूहिक प्रयास करें।” बिरला ने कहा, “यह 18वीं लोकसभा लोकतंत्र का विश्व का सबसे बड़ा उत्सव है। चुनौतियों के बावजूद 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने बड़े उत्साह के साथ चुनाव में भाग लिया। मैं सदन की ओर से उनका और देश की जनता का आभार व्यक्त करता हूं। मैं चुनाव आयोग को निष्पक्ष, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव प्रक्रिया संचालित करने और दूरदराज के क्षेत्रों में एक भी वोट डालने के लिए उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद देता हूं।”


लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला ने कहा कि जनता की अपेक्षा और आकांक्षाएं बड़ी हैं। सामूहिक प्रयास के साथ हमें सदन में नए विजन और नूतन विचारों के साथ उच्च कोटि के मानदंड स्थापित करने चाहिए। इस बार 281 नए सदस्य चुनकर आए हैं। उन्हें नियम और परिपाटी का अध्य्यन करना चाहिए। बिरला ने संविधान दिवस मनाए जाने के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस सदन को शोषित पीड़ितों के उत्थान के लिए कानून बनाने चाहिए।


अध्यक्ष बिरला ने कहा कि सड़क और सदन में विरोध करने में अंतर होता है। मर्यादा के साथ विरोध करना चाहिए। भले ही हम सबकी विचारधारा अलग हो, लेकिन हमें देश को सर्वोपरि रखते हुए काम करना चाहिए। असहमति के साथ सकारात्मक चर्चा करनी चाहिए। वे सरकार से भी अपेक्षा करते हैं कि सभी विचारों को शामिल करें और सबकी सुनी जानी चाहिए। वे चाहते हैं कि सभी के मत विचार आएं और सदन निर्बाध रूप से चले। गतिरोध के साथ सदन के बीच में आना सही नहीं है। मर्यादा का पालन नहीं होने पर उन्हें कठोर निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।


सदन की कार्यवाही के अंत में अध्यक्ष ओम बिरला ने वक्तव्य पढ़ा और कहा कि यह सदन आपातकाल की निंदा करता है। वक्तव्य के बाद उन्होंने सदस्यों से दो मिनट का मौन रखने को कहा, जिसमें कांग्रेस और कुछ विपक्षी नेताओं के अलावा सदस्यों ने मौन रखा। बिरला के वक्तव्य पढ़ने के दौरान कांग्रेस सांसदों ने आगे आकर इसका विरोध किया और शेम-शेम के नारे लगाए। वहीं ओम बिरला ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज 26 जून को कैबिनेट ने आपातकाल पर पूर्ववर्ती प्रभाव से मोहर लगाई थी। संविधान भावना के खिलाफ था। यह सदन प्रतिबद्धता दोहराता है कि दोबारा ऐसा समय नहीं आने दिया जाएगा।


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