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देश में बढ़े इन जरूरी दवाओं के दाम, NPPA ने लिया इस तारीख से मेडिसिन महंगी करने का फैसला

 

Medicine Prices Increased: देश में दवाओं के दाम को लेकर आजकल हलचल मची हुई है. अभी हाल ही में बीपी, डाइबिटीज, बुखार जैसी दवाओं के दाम कम होने को लेकर खबर आई थी. हालांकि आज कुछ जरूरी दवाओं के दाम बढ़ने को लेकर खबरें आई हैं और इसके बाद कुछ आवश्यक मेडिसिन्स के दाम में आने वाले दिनों में मामूली इजाफा देखा जा सकता है. जानिए कौनसी दवाएं होंगी ये-

नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिन्स के तहत बढ़ी दवाओं की कीमत

दवा मूल्य निर्धारण नियामक या भारत के ड्रग प्राइस रेगुलेटर ने जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची- नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिन्स (NLEM) के तहत दवाओं की कीमतों में 0.0055 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है. ये बढ़ोतरी थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में सालाना बदलाव के मुताबिक की गई है. इसमें कुछ पेनकिलर या दर्दनिवारक दवाएं, एंटीबायोटिक्स और संक्रमण रोधी दवाओं सहित आवश्यक दवाओं की कीमतों में 1 अप्रैल से मामूली इजाफा देखने को मिलेगा. आर्थिक समाचार पोर्टल इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ये खबर मिली है.

WPI डेटा के बेस पर निकाले गए दवाओं के दाम


 

राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल मूल्य निर्धारण प्राधिकरण या नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) के जरिए निकाले गए नोटिस में कहा गया है कि "वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग के आर्थिक सलाहकार के कार्यालय से मुहैया कराए गए WPI डेटा के बेस पर, 2022 WPI में सालाना बदलाव इसी अवधि की तुलना में कैलेंडर ईयर 2023 के दौरान (+) 0.00551 फीसदी के रूप में काम करता है."

मेडिसिन्स के रेट में मामूली 0.00551 फीसदी की बढ़ोतरी की गई

इसका सीधा सा मतलब है कि साल 2022 की तुलना में कैलेंडर ईयर 2023 के दौरान थोक मूल्य सूचकांक के बेस पर कुछ जरूरी दवाओं के दाम में बढ़ोतरी की जरूरत महसूस हुई है और इनकी कीमतों में मामूली 0.00551 फीसदी की बढ़ोतरी की जा रही है.

क्या कहते हैं दवा बाजार से जुड़े जानकार

उद्योग के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि यह फार्मा उद्योग को खुश करने के लिए शायद ही कोई खबर है. खासकर तब जबकि पिछले साल और उससे पिछले साल यानी 2022 में कीमतों में 12 फीसदी और 10 फीसदी की दो भारी बढ़ोतरी के बाद ये उसके सामने कुछ नहीं है. हालांकि एक एनजीओ से जुड़े एक ऑफिशियल ने कहा कि यह एक अच्छा कदम होगा जिससे इन दवाओं की सामर्थ्य बनाए रखने में रुचि बनी रहेगी.

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