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बुंदेलखंड में कांग्रेस को बढ़त दिलाने के लिए प्रियंका गांधी का दांव, दमोह में कर रहीं चुनावी रैली

 

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी आज शनिवार (28 अक्टूबर) को एक बार फिर चुनावी दौरे के लिए मध्य प्रदेश आई हैं. प्रियंका दमोह में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में आमसभा को संबोधित करेंगी. ये पांच महीनों के अंदर प्रियंका गांधी का पांचवां दौरा है. प्रियंका की रैली के बहाने कांग्रेस बुंदेलखंड में बढ़त बनाने की कोशिश करेगी. इस दौरान कांग्रेस की कुछ नई गारंटियों का ऐलान भी कर सकती हैं.



कांग्रेस द्वारा बताया गया है कि प्रियंका गांधी सुबह 11.45 बजे दमोह हेलीपैड पर उतरेंगी.यहां से वे सीधे सभा स्थल पहुंचेंगी. सभा स्थानीय महाराणा प्रताप स्कूल मैदान पर होगी.सभा के दौरान जिले की चारों विधानसभा सीटों के प्रत्याशी मौजूद रहेंगे.10 एकड़ में फैले मैदान में करीब 30 हजार वर्ग फीट का डोम बनाया गया है. दोपहर 1 बजे प्रियंका गांधी यहां जबलपुर के लिए उड़ान भरेंगी.


2018 में बुंदेलखंड में बीजेपी का रहा शानदार प्रदर्शन

बुंदेलखंड मध्य प्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है. बेरोजगारी, कुपोषण, अशिक्षा, पलायन जैसी समस्याएं बुंदेलखंड में प्रदेश के बाकी इलाकों से ज्यादा है.बुंदेलखंड में दिखावे के लिए हर बार चुनाव तो इन्हीं मुद्दों पर लड़ा जाता है लेकिन मतदान के ठीक पहले जाति वाला मामला हावी होने लगता है. कहते हैं कि बुंदेलखंड में दल से ज्यादा जातियों का जोर रहता है.जातियों में बंटे वोटर अपने-अपने जाति-समाज के कैंडिडेट के साथ खड़े नजर आते है.कमोबेश नवम्बर 2023 के चुनाव में भी यही सीन रह सकता है. जातीय समीकरणों के चलते इस इलाके में बीजेपी और कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी एवं बसपा भी अपनी ताकत दिखा रही हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था.


वैसे, प्रियंका सबसे पहले 12 जून को जबलपुर में रैली करके चुनाव अभियान का आगाज कर चुकी हैं. इसके अलावा 21 जुलाई को ग्वालियर, 5 अक्टूबर को मोहनखेड़ा और 12 अक्टूबर को मंडला में प्रियंका गांधी की सभा हो चुकी हैं. प्रियंका के भाई और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 10 अक्टूबर को शहडोल के ब्यौहारी में सभा को संबोधित कर चुके हैं.अब प्रियंका गांधी 28 अक्टूबर को छतरपुर में हुंकार भरेंगी. दरअसल,कांग्रेस प्रियंका गांधी की इस रैली  के बहाने मुख्य रूप से दलितों लिए आरक्षित 35 सीटों सहित उनके प्रभाव वाली 54 सीटों तक अपनी पहुंच बनाना चाहती है


पीएम मोदी भी आए थे बुंदेलखंड

ऐसा प्रतीत होता है कि मध्य प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र (जिसकी सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है) विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के लिए युद्ध का मैदान बनता जा रहा है.दरअसल,12 अगस्त को सागर में 100 करोड़ की लागत से बनने वाले संत रविदास के मंदिर और स्मारक की आधारशिला रखने के बाद अगले माह यानी 14 सितंबर को पीएम मोदी एक बार फिर इसी जिले की बीना रिफायनरी के विस्तार से जुड़े कार्यक्रम में शिरकत करने आये थे.


वैसे, 22 अगस्त को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी सागर में एक पब्लिक मीटिंग कर चुके हैं.इस दौरान उन्होंने बुंदेलखंड के दलित बहुल वोटरों को साधने के लिए जातिगत जनगणना का चुनावी दांव भी चला था.वहीं,12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सागर में पब्लिक मीटिंग करने के साथ 100 करोड़ की लागत से बनने वाले संत रविदास मंदिर और स्मारक का भूमि पूजन किया था.


संत रविदास के इर्द-गिर्द घूमती है यहां की राजनीति

बीजेपी और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व दलित वोटरों को साधने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर क्यों लगा रहा है?राज्य के एक दलित नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति (दलित) की कुल आबादी में से 68 प्रतिशत संत रविदास की जाति (चमड़े के कारोबार से जुड़ी) से हैं. इसमें खासकर सतनामी, अहिरवार, जाटव, चौधरी जाति आती है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक एमपी में दलितों की आबादी 1.13 करोड़ से ज्यादा थी. इसी वजह से इस चुनाव में दलित राजनीति संत रविदास के आसपास घूम रही है.


साल 2018 में बुंदेलखंड की छह एससी आरक्षित सीटों में से भाजपा ने पांच सीटें जीत ली थी. बीना, नरयावली, जतारा, चंदला और हट्टा सीट बीजेपी के खाते में गई थी.जबकि कांग्रेस ने पिछली बार केवल गुन्नौर सीट जीती थी. इसी तरह साल 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बुंदेलखंड के छह जिलों सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह और पन्ना में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था.दलितों की अच्छी संख्या वाली बुंदेलखंड की 26 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 15 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 9 सीट पर संतोष करना पड़ा था.एक सीट समाजवादी पार्टी और एक बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी.


गौरतलब है कि पिछली बार मध्य प्रदेश में दलितों के लिए आरक्षित 35 सीटों में से बीजेपी ने 18 और कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं.2018 के चुनावों में कांग्रेस ने 2013 की तुलना में 13 सीटें (एससी आरक्षित) अधिक जीतीं थी.भाजपा को 10 सीटों के नुकसान के कारण मध्य प्रदेश में 15 महीने के लिए विपक्ष में बैठना पड़ा था.

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