मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रतिमा के अनावरण के बाद स्व. बैनर्जी स्मृति संगोष्ठी को
संबोधित करते हुए कहा कि स्व. सुभाष चंद्र बैनर्जी का जीवन मातृभूमि के लिए समर्पित था। अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन कुछ होते हैं जो, देश और समाज के लिए जीते हैं। उनका अपना कुछ नहीं होता। स्व. बैनर्जी भी ऐसे ही समर्पित राष्ट्र सेवक थे। जबलपुर के साथ ही महाकौशल क्षेत्र में वे समाज हित में निरंतर सक्रिय रहें। आपातकाल के दौरान इस परिवार के 6 लोग कारावास में रहे। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए भी कार्य किया। उनकी धर्मपत्नी जयश्री बैनर्जी ने अपनी सम्पूर्ण क्षमताओं से प्रदेशवासियों की सेवा की।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि स्व. बैनर्जी का व्यक्तित्व और कृतित्व ही उनके सेवाभावी होने की जानकारी दे देता है। किसी भी संगठन के इतिहास में प्रारंभिक काल के सक्रिय कार्यकर्ता महत्व रखते हैं। ये कार्यकर्ता नींव के पत्थर होते हैं। ऐसे नींव के पत्थर ही एक विशाल भवन के निर्माण के आधार बनते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि स्व. बैनर्जी का जीवन प्रेरणा प्रदान करता है। गीता के श्लोक के अनुसार ऐसा व्यक्ति जो राग-द्वेष से युक्त न हो, उसमें अहंकार भी न हो, धैर्यवान हो और उत्साह से भरा हो, सफलता मिले तो ठीक है, असफलता पर भी निराश न हो, सात्विक कार्यकर्ता माना जाता है। स्व. बैनर्जी ऐसे ही सात्विक कार्यकर्ता थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रदेश की जनता की ओर से स्व. बैनर्जी को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम में सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा, केन्द्रीय खाद्य प्र-संस्करण उद्योग और जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल, स्व. बैनजी की धर्मपत्नी जयश्री बैनर्जी, श्री दीपांकर बैनर्जी, सांसद राकेश सिंह राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि, किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल, विधायक अशोक रोहाणी के अलावा धर्मनारायण शर्मा, जन-प्रतिनिधि और नागरिक उपस्थित थे।
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