Vrat & Festival 2023 जुलाई महीने के व्रत त्योहार
जुलाई महीने की शुरुआत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से हो रही है। त्रयोदशी तिथि के स्वामी भगवान शिव और इस महीने भगवान शिव का प्रिय मास सावन की भी शुरुआत हो रही है। यानी जुलाई महीने में भगवान शिव की कृपा बनी रहेगी। इस बार सावन मास बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि मलमास या पुरुषोत्तम मास की वजह से सावन सोमवार के चार नहीं बल्कि आठ सोमवार के व्रत किए जाएंगे। साथ ही इस माह दो एकादशी का व्रत भी किया जाएगा, यह तिथि भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है। इस तरह जुलाई माह में भगवान शिव और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर पाएंगे। वहीं जुलाई माह में कोकिला व्रत, हरियाली अमावस्या आदि कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं।आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान विष्णु के देवों के देव महादेव शयन करने चले जाते हैं। आषाढ़ मास की इस तिथि श्रीशिव शयनोत्सव के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव शयन काल में जाने से पहले अपने अन्य अवतार रुद्र को सृष्टि का कार्यभार सौंप देते हैं। भगवान रुद्र सृष्टि के संचालन के साथ साथ सृष्टि के भर्ता के रूप में भी कार्यभार देखते हैं। इन दिनों भगवान रूद्र की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को कोकिला व्रत किया जाएगा। इस तिथि में माता पार्वती की कोकिला यानी कोयल के रूप में पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवी सती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कोकिला व्रत किया था। कोकिला व्रत आषाढ़ मास की चतुर्दशी तिथि से सावन मास की पूर्णिमा तक किया जाता है। इस व्रत को करने से आकारत्रय यानी सुत, सौभाग्य और संपदा की प्राप्ति होती है। ज्यादातर यह पर्व दक्षिण भारत में ही मनाया जाता है।आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शिष्य गुरुओं की पूजा करते हैं और उपहार देते हैं। साथ ही इस दिन महाभारत ग्रंथ, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद, अट्ठारह पुराण, श्रीमद्भागवत समेत कई ग्रंथों व पुराणों की रचना करने वाले वेद व्यासजी का जन्म हुआ था और उनको प्रथम गुरु भी माना जाता है। वेद व्यासजी के शिष्यों ने गुरु पूर्णिमा की शुरुआत भी की थी।सावन मास के पहले सोमवार का व्रत 10 जुलाई को किया जाएगा। मलमास या पुरुषोत्तम मास की वजह से इस बार सावन मास में चार नहीं बल्कि आठ सोमवार का व्रत किया जाएगा। साथ ही इस दिन रवि योग बन रहा है और पंचक काल भी खत्म हो रहा है। सावन सोमवार के दिन भगवान शिव को जल का अभिषेक और बेलपत्र चढ़ाने मास से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।सावन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी कहा जाता है। कामिका एकादशी का व्रत और शंख चक्र गदाधारी भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान अपने भक्तों की सभी कामनाओं को पूरा करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के सामने घी या तिल का दीपक जलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।सावन मास की शिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष का व्रत भी किया जाएगा। हर वर्ष सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। साल में 12 शिवरात्रि आती हैं लेकिन फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि और सावन मास की शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना और उपवास करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही शनिदेव के दर्शन और शनि चालीसा का पाठ करने से शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि सोमवार के दिन पड़ रही है, इस वजह से इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ हवन, जप तप व साधना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और हर कष्ट दूर हो जाता है।सावन मास में मलमास या पुरुषोत्तम मास की शुरुआत हो रही है, जिस वजह से सावन एक नहीं बल्कि दो मास का हो रहा है। यह मास भगवान विष्णु को समर्पित है और सावन में मलमास लगने से हरि और हर की कृपा प्राप्त कर सकेंगे। जिस चंद्र मास में सूर्य का गोचर नहीं होता है अर्थात संक्राति नहीं होती है, उस मास को मलमास या पुरुषोत्तम मास कहते हैं। इस मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। मलमास या पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने और ध्यान करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
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