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संकट काल में संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है बड़ी से बड़ी बाधा

 संकट काल में संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है बड़ी से बड़ी बाधा

गणेश जी का नाम किसी भी शुभ कार्य से पहले लिया जाता है। गणपति बप्पा को प्रथम पूज्य कहा गया है। सर्व देवों में सबसे पहले पूजे वाले देव विघ्नहर्ता श्री गणेश हर कार्य को पूरा करने की सामर्थ्य रखते हैं। वैसे तो गणेश जी के कई नाम हैं लेकिन उनमें से 12 नाम प्रमुख हैं। इनमें सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन शामिल हैं। जैसा सभी जानते हैं श्री गणेश को सभी दोवों में श्रेष्ठ माना जाता है। उसी तरह से इनके स्तोत्र का महत्व भी है। यदि आपको एक साथ कई संकटों ने घेर लिया है, तो आपको गणपति बप्पा की पूजा करते समय संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से आपके सभी संकट दूर हो जाएंगे।


श्री गणेश का संकटनाशन स्तोत्र

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।

भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।1।।

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।

तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।2।।

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।

सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ।।3।।

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम।।4।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।5।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।6।।

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्।

संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।7।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।8।।

॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥

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