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श्री महाकाल लोक का द्वार भक्तों के लिए खुले

उज्जैन। ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर मंदिर के नव विस्तार क्षेत्र श्री महाकाल लोक का प्रवेश द्वार बुधवार को भगवान महाकाल के भक्तों के लिए खुल गया। सुबह से ही महाकाल लोक को देखने लोगों की भीड़ जुटी। लोगों ने प्रांगण में स्थापित भगवान शिव सहित विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों और 25 फीट ऊंची एवं 500 फीट लंबी दीवार पर बनाए शैल चित्रों के साथ मोबाइल से तस्वीरें खिंचवाई। शिल्पकारों के कार्य की प्रशंसा की। कुछ मूर्तियों की भाव, भंगिमाओं को सुधारने की बात भी की।


भक्तों ने कहा कि श्री महाकाल लोक अद्भुत है। यहां आकर आनंद और उत्साह की अनुभूति हो रही है। निश्चित ही श्री महाकाल लोक को देखने के लिए दुनिया भर से लोग जुटेंगे। उज्जैन में अब धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा। रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इंतजार अब दूसरे चरण के शेष कार्य पूर्ण होने का है।

मालूम हो कि एक दिन पहले मंगलवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। उन्होंने मंच से उद्बोधन में उज्जैन और मंदिरों का महत्व बताया था। उन्होंने कहा था कि हमारे तीर्थ

स्थल ज्ञान, दर्शन और कला की राजधानी रहे हैं। हमारे तीर्थों ने हमें ज्ञान, दर्शन और कला का संदेश दिया हैं, सामर्थय दिया है। ये एस्ट्रोनॉमी के शीष केंद्र रहे हैं। हमारे आध्यात्मिक केंद्र, तीर्थ स्थल आस्था के साथ विज्ञान और शोध की परंपरा को पुनर्जीवित कर रहे हैं।

नंदी द्वार से प्रवेश करते ही दिखते हैं ये नजारें

महाकाल पथ :- महाकाल मंदिर में प्रवेश के लिए त्रिवेणी संग्रहालय के पीछे रूद्रसागर के किनारे 26 फीट ऊंचा लाल पत्थर से नंदी द्वार बनाया है। 920 मीटर लंबा महाकाल पथ बनाया है, जिसके एक ओर 25 फीट ऊंची और 500 मीटर लंबी लाल पत्थर की दीवार बनाई है। दीवार पर शिव महापुराण में उल्लेखित घटनाओं के शैल चित्र उकेरे गए हैं। घटनाओं का संस्कृत में संदर्भ लिखा है। इसके ठीक सामने 108 शिव स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर भगवान शिव एवं उनके गणों की विभिन्न मुद्राएं बनाई हैं।

मूर्तियाें की स्थापना : कमल सरोवर बनाया हैं, जिसके बीच आदि योगी शिव की विशाल मूर्ति स्थापित की है। इसी ओर सप्त ऋषियों की विग्रह स्वरूप में मूर्ती, नवग्रहों की विग्रह स्वरूप मूर्तियां, 25 फीट ऊंचा शिव स्तंभ,

भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर के संहार को दर्शाती 70 फीट लंबी मूर्ति, भगवान गणेश, कार्तिकेय और माता पार्वती की मूर्ती, वीरभद्र द्वारा दक्ष के शिरच्छेदन की मूर्ती स्थापित की है। इसी तरह प्रसाद एवं टिकट काउंटर बनाया गया है। यहीं त्रिवेणी मंडपम (कमर्शियल प्लाजा) है। रूद्रसागर किनारे 111 फीट लंबी दीवार पर शिव विवाह के शैल चित्र बनाए गए हैं।


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