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महाकाल मंदिर में इस बार मिल सकती है कावड़ यात्रियों को जलाभिषेक की अनुमति

 ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में कोरोना काल के दो साल बाद फिर से बोल बम का नाद सुनाई देगा। मंदिर समिति श्रावण मास में कांवड़ यात्रियों को भगवान महाकाल के जलाभिषेक की अनुमति देने पर विचार कर रही है। कांवड़ियों को पूर्व निर्धारित व्यवस्था के अनुसार शनिवार, रविवार व सोमवार को छोड़कर प्रवेश दिया जा सकता है। 


श्रावण मास में भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने के लिए कांवड़ यात्री नर्मदा व गंगा नदी का जल लेकर उज्जैन आते हैं। मंदिर समिति यात्रियों को मंगलवार से शुक्रवार तक भगवान महाकाल के जलाभिषेक की अनुमति देती है। शनिवार, रविवार व सोमवार को अत्यधिक भीड़ वाले दिनों में कांवड़ यात्राओं को अनुमति नहीं रहती थी। दो साल से मंदिर समिति ने भक्तों द्वारा भगवान महाकाल के जलाभिषेक पर रोक लगा रखी थी। कांवड़ यात्रियों को भी जल लेकर मंदिर नहीं आने की हिदायत दी गई थी।

अब तक यह थी व्यवस्था

मंदिर समिति द्वारा कांवड़ यात्रा दल में शामिल अधिकतम पांच लोगों को गर्भगृह में जाकर जल चढ़ाने की निश्शुल्क अनुमति दी जाती थी। शेष यात्री सभा मंडप स्थित जल द्वार पर लगे पात्र से भगवान को जल अर्पित करते हुए गणेश मंडपम से भगवान के दर्शन कर मंदिर के बाहर निकल जाते थे।

अब गर्भगृह में जलाभिषेक पर रसीद कटवानी अनिवार्य

प्रवेश प्रतिबंधित रहने पर गर्भगृह में जाकर भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने के लिए दर्शनार्थियों को 1500 रुपये की रसीद कटवानी अनिवार्य है। 1500 रुपये की एक रसीद पर दो लाेगों को गर्भगृह में प्रवेश दिया जाता है। इस व्यवस्था से कांवड़ यात्रा दल में शामिल प्रमुखों को भी गर्भगृह में जाकर भगवान को जल अर्पण करने के लिए रसीद कटवानी होगी।
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