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ओबीसी मामले की आगामी सुनवाई जबलपुर हाई कोर्ट ने 27 अप्रैल को निर्धारित की

 जबलपुर। हाई कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती के मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को निर्धारित कर दी है। ओबीसी आरक्षण विरोध में 23 याचिकाएं व ओबीसी के आरक्षण के समर्थन में 35 सहित कुल 58 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई हुई। प्रशासनिक न्यायमूर्ति शील नागू व एमएस भट्टी की युगलपीठ में पक्ष रखा गया।



इसलिए निरस्‍त कर दिया था आवेदन : सर्व प्रथम अखिल भारतीय ओबीसी महासभा की ओर से उदय कुमार आधिवक्ता द्वारा दाखिल आवेदन पर सुनवाई की गई। उक्त आवेदन प्रकरणों के ओआइसी द्वारा जून 2021 में दाखिल शपथ पत्र में कुछ असत्य जानकारी कोर्ट में दाखिल करने के सम्बन्ध में था। ओआइसी के विरूद्ध दाण्डिक कार्रवाई करने हेतु दाखिल आवेदन को कोर्ट ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि अखिल भारतीय ओबीसी महासभा प्रकरण में इन्टरवींनर नहीं है। इसलिए उक्त आवेदन पर कोर्ट विचार नहीं कर सकता। 

राज्य सरकार को निर्देशित किया कि मेडिकल में ओबीसी के 27% आरक्षण के मान से दिए गए प्रवेश में 13% याचिका के निर्णयाधीन रहेगा : इसके बाद कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका में पारित आदेश का अवलोकन किया व राज्य सरकार को निर्देशित किया कि मेडिकल में ओबीसी के 27% आरक्षण के मान से दिए गए प्रवेश में 13% याचिका के निर्णयाधीन रहेगा। शासन की ओर से महाधिवक्ता द्वारा कोर्ट को बताया कि शासन द्वारा प्रकरणों में समुचित आवेदन दाखिल किया जाना है इसलिए कोर्ट ने उक्त प्रकरणों को 27 अप्रैल 2022 फाइनल सुनवाई नियत की है। बिसेन आयोग द्वारा कलेक्ट किए डाटा न्यायालय में प्रस्तुत किए जा सकते हैं। शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह व विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह के पक्ष रखा तथा इन्टरवीनर्स की ओर से उदय कुमार, परमानंद साहू, आरजी वर्मा व त्रिलोकी नाथ सोनकर ने पक्ष रखा। प्रकरणों की आगामी सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

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