रोशन नेमा,भोपाल ## एमपी में शराबबंदी आंदोलन शुरू करने की तीन-तीन बार तारीख़ देकर ग़ायब होती रही प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री फ्रायर ब्रांड नेता उमा भारती ने अपने पूर्व ससंदीय क्षेत्र भोपाल के भेल क्षेत्र से आन्दोलन का शंखनाद शराब की दुकान में ख़ुद पत्थर बरसा कर किया. उमा का ये तरीका शराबबंदी अभियान का ट्रैलर माना जा रहा है. शराबबंदी आंदोलन की रणनीति क्या रहने वाली है ये अभी राज बना हुआ है. उमा ने फायर आगाज के माध्यम से सरकार, नौकरशाह, विपक्ष से लेकर सियासतदानों को बता दिया है अभी भी जनशक्ति के साथ वो मैदान में है, लेकिन शराब की बोतल पर पड़े पत्थर ने समूचे प्रदेश के सियासी कदरदानों को सोशल मीडियाई नशे में तर कर दिया है.
सूबे में अन्दर खाने में चल रही उठापटक की ठंडी हवा को गर्म कर दिया है. भले ही पत्थरबाजियां शंखनाद करने का तरीका प्रशासनिक लिहाज से गलत हो सकता है. पक्ष ये भी है जो शराब से परेशान परिवार है उनके लिए तो ये शंखनाद किसी उम्मीद से कम नहीं है. उनके इस पत्थर से शराब से परेशन घरों में शाम की दीया बत्ती उमा भारती के अभियान को मजबूत बनाने के लिए होगी. होलाष्टक के बाद फगु दसमी से शुरू हुए इस शंखनाद के पीछे साध्वी का मकसद क्या है? क्या आने वाले विधानसभा चुनाव तक साध्वी इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना देंग?. शंखनाद देख ऐसा लग की ये सरकार की सोच पर पत्थर मारा है? शराब नीति पर पत्थर मारा है? या फिर अपनी सियासी जमीन को दोबारा जमाने के लिए पत्थर उछाला है? कर्ज में डूबी शिवराज की मप्र सरकार की अर्थव्यवस्था शराब नीति पर ही निर्भर है. सरकारों के लिए शराब ईधन है. उमा का फायर उन महिलाओं, बच्चियों और बुजुर्गो के लिए एक उम्मीद है जिनके परिवार मधुशाला के मद शोर में जल रहे है.
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