शनि देव का कुंभ राशि में 28 अप्रैल को गोचर होने जा रहा है। कर्मफल दाता मकर राशि छोड़कर दूसरी राशि कुंभ में रहेंगे। यहां भी शनिदेव स्वगृही होकर प्रभावित करेंगे। पहली राशि में न्याय करते हुए गलत कर्म करने वाले को सजा देते हैं। वहीं कुंभ राशि में शुभ कर्मों में लाभदायक फल प्रदान करते हैं। मकर राशि में शनि के गोचर से समाज में उथल-पुथल होती है। वहीं कुंभ राशि में शुभ ग्रहों के संयोजन से शुभताओं की कई गुना वृद्धि करते हैं।
शनि के राशि परिवर्तन से मेष, वृष, मिथुन, तुला, धनु, मकर और कुंभ राशिवालों की प्रतिष्ठ में बढ़ोतरी, लाभ और इनकम में वृद्धि होगी। वहीं कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक, और मीन राशि के जातकों को सतर्क रहना होगा। कुंडली वृषभ लग्न व कर्क राशि की है। ऐसे में सर्वाधिक कारक ग्रह के रूप में शनि देव काम करते हैं। शनि देव भाग्य भाव से राज्य भाव में गोचर शुरू करने जा रहे हैं। यह परिवर्तन इंटरनेशनल स्तर पर भारतीय दृष्टि कोण से देखा जाएगा। देश का वर्चस्व विश्व स्तर पर बढ़ेगा। अन्य देशों से व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे।भारत के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में बढ़ोतरी होगी। अंतराष्ट्रीय संगठनों में देश का वर्चस्व बढ़ेगा। शनि देव की दृष्टि चतुर्थ भाव सिंह राशि और सप्तम भाव वृश्चिक राशि पर होने से राष्ट्र के आंतरिक मामलों में विवाद की स्थिति पैदा होगी। कंस्ट्रक्शन, विनिर्माण, गाड़ियों से जुड़े प्लानिंग पर सरकार द्वारा खर्च किया जाएगा। समाज से मध्यम वर्ग के लिए काफी प्रगति का वातावरण रहेगा। न्याय पालिका द्वारा सकारात्मक निर्णय सुनाए जा सकते है। लोगों की दैनिक आय में तनाव की स्थिति हो सकती है।
शनि देव कुंभ राशि में गोचर करेंगे। तब राहु का परिवर्तन मेष राशि में होगा। शनि का राहु ग्रह के साथ तृतीया एकादश और केतु से पंचम नवम का संबंध बनेगा। ऐसे में प्राकृतिक आपदा की स्थिति बन सकती है। इस गोचर का आम जनता पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। 28 अप्रैल से 4 जून तक कुंभ राशि से मार्गी गति से गोचर करेंगे। शनिदेव फिर 4 जून से 12 जुलाई तक वक्री गति से गोचर करेंगे। फिर 13 जुलाई से मकर राशि में वक्री होंगे। इस प्रकार शनिदेव 76 दिनों तक कुंभ राशि में गोचर करेंगे।
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