इंदौर। इंदौर शहर में इस बार 22 मार्च को रंगपंचमी पर गेर निकलेगी। मुख्यमंत्री ने शनिवार को बुढ़ी बरलाई की सभा में कहा कि कोरोना जा रहा है। होली-रंगपंचमी धूमधाम से मनाओ, गेर भी निकालो। गेर को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा सि्थति स्पष्ट करने के बाद गेर आयोजकों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। दो साल से कोरोना के कारण शहर की इस सांस्कृतिक परंपरा पर विराम लग गया था, लेकिन इस बार खुशियों की गेर का सिलसिला फिर शुरू होगा, हालांकि जिस रुट से गेर निकलती है, उसके बड़े हिस्से पर निर्माण कार्य चल रहा है, ऐसे में इस साल रुट में बदलाव हो सकता है।
गेर को लेकर मुख्यमंत्री के बयान के बाद उत्सव समितियों का गेर निकालने को लेकर उत्साह दुगना हो गया है। संगम कार्नर रंग पंचमी महोत्सव समिति के अध्यक्ष कमलेश खंडेलवाल का कहना है कि गेर को लेकर सि्थति स्पष्ट होने के बाद प्रशासन को अब समितियों की तैयारियों में सहयोग देना चाहिए। वर्तमान में गेर मार्ग पर निर्माण कार्य चल रहा है। उसे जल्द ठीक किया जाना चाहिए। टोरी कार्नर रंग पंचमी महोत्सव समिति के समन्वयक शेखर गिरी का कहना है कि दो साल बाद एक बार फिर दुगने उत्साह के साथ हम गेर निकालने की तैयारी हम कर रहे है। मारल क्लब के आयोजक अभिमन्यु मिश्रा ने बताया कि गेर को लेकर कार्यकर्ता में बहुत उत्साह है। इसके लिए महाराष्ट्र के अमरावती की 100 सदस्यी ढोल पार्टी को बुलाया जा रहा है।धुलेंडी के बाद रंगपंचमी पर गेर निकालने की परंपरा आजादी के पहले से चली आ रही है। होलकर राजवंश के समय राजपरिवार के लोग रंगपंचमी पर जुलूस की शक्ल में लोगों के साथ रंग खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे। इंदौर के अलावा मालवा-निमाड़ के कुछ नगरों में भी रंगपंचमी पर गेर निकाली जाती है। समय के साथ गेर में बदलाव हुए होते रहे। अब गेर में 40-50 फुट तक रंगों की बौछार करती मिसाइलें, पिचकारी, वाटर टैंकर शामिल होते है।
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