भोपाल। माघी पूर्णिमा के अवसर पर डांडा गाड़ने से होली के त्योहार की तैयारियां शुरू हो गई हैं। होलिका में हर साल बड़े पैमाने पर लकड़ियों का दहन किया जाता है। इसके लिए कतिपय लोग हरे-भरे वृक्षों को काटकर होली की भेंट चढ़ा देते हैं। हरियाली के खामोश कत्ल से पर्यावरण की बिगड़ती सेहत को देखते हुए राजधानी में गठित गोकाष्ठ समिति ने इस बार भी होली भी जले और हरियाली भी सलामत रहे के मूल मंत्र पर काम तेज कर दिया है। इसके लिए गोशालाओं में बड़े पैमाने पर गोबर की लकड़ी (गोकाष्ठ) तैयार की जा रही है। समिति ने 10 मार्च तक छह हजार क्विंटल गोकाष्ठ तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इसे 10 रुपये प्रति किलो की दर से आम लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा।
गोकाष्ठ समिति के प्रवक्ता मम्तेश शर्मा ने बताया कि आगामी 17 मार्च को होने वाले होलिका दहन को लेकर अभी से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का काम शुरू कर दिया गया है। शहर के आसपास बनी बड़ी गोशालाओं में जाकर बड़े पैमाने पर गोकाष्ठ तैयार करवाई जा रही है। समिति के अध्यक्ष अरुण चौधरी का कहना है कि शहर में 90 फीसद तक होलिका दहन में गोकाष्ठ का इस्तेमाल होने का हमने लक्ष्य रखा गया है। बुधवार तक उनके गोदाम में 1500 क्विंटल गोकाष्ठ जमा हो गई। 10 मार्च तक छह हजार क्विंटल का स्टाक हो जाएगा।
40 केंद्रों पर मिलेगी गोकाष्ठ : समिति के सचिव प्रमोद मोदी चुघ ने बताया कि प्रति वर्ष वन विभाग होली की लकड़ी प्रदाय करने के लिए शहर में 22 स्थानों पर अस्थाई टाल लगाता है। इन सभी केंद्रों पर समिति गोकाष्ठ भी बिक्री के लिए रखेगी। लोगों को होली में लकड़ी के बजाए गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इन्हें मिलाकर करीब 40 स्थानों पर गोकाष्ठ बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगी। 25 किलो गोकाष्ठ काटन के कपड़े से बने बैग में मिलेगी। इस प्रयास से गोशाला प्रबंधन भी आर्थिक रूप से मजबूत होगा।
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