भोपाल। मंगलवार को राजभवन में के खिलाफ कांग्रेस नेताओं द्वारा की गई नारेबाजी और अमर्यादित टिप्पणी को भाजपा मुद्दा बनाएगी। भाजपा ने इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ते हुए इसे संपूर्ण आदिवासी समाज का अपमान बताया है। पार्टी इस तैयारी में है कि वह कांग्रेस नेताओं के इस व्यवहार को आदिवासी विरोधी मानसिकता बताते हुए अभियान चलाए। उधर,गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि राज्यपाल जी आदिवासी वर्ग से इसलिए कांग्रेसी नेताओ ने अपमान किया। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि वे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ राज्य सभा के सभापति से शिकायत करेंगे।
भाजपा पदाधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल का पद संवैधानिक हैं। उनको लेकर अमर्यादित शब्दों का उपयोग करना बताता है कि कांग्रेस नेता की आदिवासियों के प्रति मानसिकता क्या है। इसको लेकर हम समाज के बीच जाएंगे और कांग्रेस की असलियत उजागर करेंगे। गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस और दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल का अपमान इसलिए किया क्योंकि वह जनजातीय समुदाय से आते है।
वैसे भी संवैधानिक संस्थाआंे और आदिवासी वर्ग को अपमानित करना हमेशा से कांग्रेस का स्वभाव रहा है। कांग्रेस में मंत्री रहे उमंग सिंगार ने कहा कि दिग्विजय सिंह आदिवासी विरोधी और प्रदेश के सबसे बड़े माफिया है। वहीं, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस के नेता लगातार आदिवासी समाज के व्यक्तियों का अपमान कर रहे हैं। पार्टी ने किसी भी आदिवासी नेता को आगे नहीं बढ़ने दिया। राज्यपाल के प्रति जिस अमर्यादित भाषा का उपयोग किया गया है, वहां निंदनीय है।
31 दिसंबर को मांगा था समय- दिग्विजय सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा कि देवास जिले के नेमावर में आदिवासी परिवार के सदस्यों के पांच सदस्यों की हत्या करके शव को खेत में दफना दिया गया था। इस मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है। वह राजनीतिक दबाव में काम कर रही है। हमने सीबीआइ जांच की मांग की थी। नारी सम्मान जागृति चेतना संस्था ने न्याय यात्रा प्रारंभ करने से पहले 31 दिसंबर 2021 को न सिर्फ यात्रा प्रारंभ करने की सूचना दी थी बल्कि 11 जनवरी को मुलाकात का समय भी मांगा था। यात्रा जब भोपाल आई तो मैं भी इसमें शामिल हुआ और प्रतिनिधिमंडल के साथ आपसे मिलने के लिए पुलिस द्वारा हमें राजभवन लाया गया पर मिलने नहीं दिया गया। आप राज्य के संवैधानिक मुखिया हैं इसलिए सीबीआइ को समय सीमा में जांच करके हत्यारों को सजा दिलाने के लिए निर्देश दें ताकि पीड़ित आदिवासी परिवार को न्याय मिल सके।
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