....

संसद में हंगामे की राज्‍यसभा कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने हद पार की

 संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पक्ष और विपश की तकरार के बीच लोकतंत्र के मंदिर में एक शर्मसार करने वाली घटना देखने को मिली। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे विपक्षी दलों मसलन कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दल और आम आदमी पार्टी के सांसदों ने राज्यसभा में एक हैरतअंगेज घटनाक्रम में महासचिव की मेज पर चढ़कर उस पर कब्जा कर लिया और जोरदार नारेबाजी की। इतना ही नहीं, राज्यसभा की मेज पर चढ़कर कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आसन की ओर रूल बूक भी फेंकी। इसका नतीजा यह हुआ कि सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ गई। 


राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने से पहले महासचिव की मेज पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस की मौसम नूर, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा, माक्सवादी पार्टी के शिवदासन और भाकपा के विनय विस्वम ने मेज पर बैठकर जोरदार नारेबाजी की। इतना ही नहीं, ये सदस्य मेज भी बजा रहे थे। अन्य सदस्य शोर गुल कर रहे थे। इससे पहले कांग्रेस के रिपुन बोरा, दीपेन्द्र हुड्डा और कांग्रेस के राजमणि पटेल भी मेज पर खड़े हो गये थे। इसी हंगामे के बीच बाजवा आसन की ओर रूल बुक फेंकते नजर आए।

विपक्ष की मांग पर राज्यसभा में किसानों के मुद्दों पर चर्चा होने वाली थी, मगर ऐसा नहीं हो सका। राज्यसभा में चर्चा के बदले सिर्फ और सिर्फ हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा डेस्क पर चढ़कर नारेबाजी करते दिखे। इतना ही नहीं, काला कानून वापस लो का नारा लगाते हुए बाजवा ने आसन की ओर रूल बुक भी फेंक दी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है और भाजपाप नेता इस वीडियो के जरिए कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे विपक्षी दलों के नेता नारेबाजी कर रहे हैं और डेस्क पर चढ़कर बाजवा आसन की ओर रूल बुक फेंक रहे हैं।


सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित

दरअसल, दो बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर उप सभापति भुवनेश्वर कलिता ने जब 'कृषि से संबंधित समस्याओं और इनके समाधान' पर अल्पकालिक चर्चा की शुरूआत कराई तो विपक्षी सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया। उप सभापति ने हंगामे के बीच ही भाजपा के विजय पाल सिंह तोमर को चर्चा शुरू करने को कहा। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुनेत्र कषगम, वामदल और आम आदमी पार्टी के सदस्य इसके विरोध में सदन के बीच में आ गये और नारेबाजी करने लगे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना के सदस्य भी अपनी सीट के निकट खड़े होकर नारे लगाते दिखायी दिये। इसके बाद दिन भर के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित हो गई।

सदन में ऐसा पहली बार हुआ

कार्यवाही के स्थगित होने के बाद भी चार-पांच विपक्षी सदस्य महासचिव की मेज पर बैठे रहे जबकि अन्य सदस्य मेज के चारों ओर खड़े रहे। कार्यवाही शुरू होने से कुछ सेकेंड पहले और सभापति के सदन में आने से पहले मार्शल  दीपक देश वर्मा को जगह बनाते हुए उनकी कुर्सी पर ले गये। इस बीच स्थिति को देखते हुए संसद में विभिन्न जगहों पर तैनात वाच एंड वार्ड के करीब 50 मार्शलों को सदन में बुला लिया गया। यह संभवत पहला मौका होगा जब सदन में एक साथ इतने मार्शलों को बुलाया गया हो। 


संसद में पक्ष और विपक्ष में जारी है गतिरोध

संसद का मॉनसून सत्र गत 19 जुलाई को शुरू हुआ था लेकिन दो सप्ताह से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है और कार्यवाही एक दिन भी पूरे समय सुचारू ढंग से नहीं चल पायी है। सदन में केवल एक दिन देश में कोरोना के मुद्दे पर शांतिपूर्ण ढंग से चर्चा हुई थी। सरकार ने इस दौरान करीब दस से भी अधिक विधेयक पारित कराये हैं लेकिन ये सभी हंगामे के बीच ही बेहद संक्षिप्त चचार् के बाद पारित हुए हैं। इसके अलावा कोई अन्य विशेष विधायी कार्य इस दौरान नहीं हो सका है। विपक्षी सदस्य पेगासस जासूसी मामले पर चर्चाऔर कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार विपक्ष की मांग पर ध्यान नहीं दे रही है।

Share on Google Plus

click vishvas shukla

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment