नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आरक्षण का ‘पुरजोर समर्थक’ होने की बात करते हुए संगठन के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि यह सकारात्मक कार्रवाई का जरिया है और जब तक समाज का एक खास वर्ग ‘असमानता’ का अनुभव करता है, तब तक इसे जारी रखा जाना चाहिए। भारत के इतिहास को दलितों के इतिहास के बगैर ‘अधूरा’ होने का उल्लेख करते हुए होसबाले ने कहा कि वे सामाजिक परिवर्तन में अग्रणी रहे हैं। ‘मेकर्स ऑफ मॉर्डन दलित हिस्ट्री’ शीर्षक वाली एक पुस्तक के विमोचन के लिए इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही।
‘भारत का इतिहास दलितों के इतिहास से अलग नहीं है’
होसबाले ने कहा, ‘भारत का इतिहास दलितों के इतिहास से अलग नहीं है। उनके इतिहास के बिना, भारत का इतिहास अधूरा है।’ आरक्षण की बात करते हुए होसबाले ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह और उनका संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘आरक्षण के पुरजोर समर्थक हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सामाजिक सौहार्द और सामाजिक न्याय हमारे लिए राजनीतिक रणनीतियां नहीं हैं और ये दोनों हमारे लिए आस्था की वस्तु हैं।’ भारत के लिए आरक्षण को एक ‘ऐतिहासिक जरूरत’ बताते हुए होसबाले ने कहा, ‘यह तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक समाज के एक वर्ग विशेष द्वारा असमानता का अनुभव किया जा रहा है।'
‘मेरा संगठन और मैं आरक्षण के प्रबल समर्थक हैं’
आरक्षण को ‘सकारात्मक कार्रवाई’ का साधन बताते हुए होसबाले ने कहा कि आरक्षण और समन्वय (समाज के सभी वर्गों के बीच) साथ-साथ चलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में सामाजिक बदलाव का नेतृत्व करने वाली विभूतियों को ‘दलित नेता’ कहना अनुचित होगा, क्योंकि वे पूरे समाज के नेता थे। होसबाले ने कहा, ‘जब हम समाज के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं तो निश्चित रूप से आरक्षण जैसे कुछ पहलू सामने आते हैं। मेरा संगठन और मैं दशकों से आरक्षण के प्रबल समर्थक हैं।’
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