प्रदेश के पश्चिमी छोर पर बसे मंदसौर का पुरातात्विक, इतिहासिक, धार्मिक महत्व रहा है।
सम्राट यशोधर्मन ने हूणों को पराजित कर विजय पताका फहराई। आज भी सौंधनी विजय स्तंभ पर शिलालेख अंकित है। गुप्त कालीन शिल्प जिले भर में देखा जा सकता है। विक्रम सम्वत 575 के इतिहास का उल्लेख भी यहां है। प्राचीन नाम दशपुर कहा जाता रहा। इसके महत्व के साथ अब मंदसौर की विशिष्ट पहचान अद्वितीय अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ महादेव प्रतिमा है। यह मूर्ति शिवना नदी किनारे चंद्रपुरा स्थित विशाल मंदिर में स्थापित है।
जिला कलेक्टर एवं पशुपतिनाथ मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष मनोज पुष्प ने बताया कि पश्चिम रेलवे मंडल रतलाम से मांग की गई है कि मंदसौर स्टेशन से गुजरने वाली किसी ट्रेन का नामकरण पशुपतिनाथ एक्सप्रेस किया जाय। प्रसन्नता की बात है कि डीआरएम पश्चिम रेलवे मंडल , रतलाम ने मांग स्वीकार करते हुए। प्रस्ताव केंद्रीय रेलवे बोर्ड को भेजा है।
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