कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व केंद्रीय मंत्री
ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके 22 समर्थकों
के साथ सत्ता संतुलन साधने में भाजपा का सामाजिक और भौगोलिक गणित बिगड़ गया ।
विधानसभा की 24
सीटोें पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल में चंबल-ग्वालियर का पलड़ा
तो भारी हो गया लेकिन 2018
में भाजपा को जीत दिलाने वाले विंध्य और महाकोशल नेतृत्व की दृष्टि से लगभग साफ हो
गया । विंध्य में कुल सीट 30
हैं,जिनमें से 24 पर भाजपा को विजय मिली पर मंत्री
मात्र दो मिले ।
महाकोशल की 38 सीटों में से पिछले विधानसभा चुनाव में 13 सीट भाजपा को मिली थी,जिसके चलते मात्र एक रामकिशोर कांवरे
को मंत्री बनाया गया । संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर से जहां कमलनाथ सरकार में
दो दो मंत्री हुआ करते थे,वहां
से किसी को नहीं चुना ।
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