सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निजी अस्पतालों
से पूछा कि क्या वे सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत निर्धारित शुल्क पर COVID-19 संक्रमित
मरीजों को इलाज देने के लिए तैयार हैं। 'आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ का उद्देश्य देश के गरीब और कमजोर
व्यक्तियों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करना है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ
ने कहा कि शीर्ष अदालत सभी निजी अस्पतालों को निश्चित संख्या में COVID-19 रोगियों का
मुफ्त में इलाज करने के लिए नहीं कह रही है।
पीठ में जस्टिस एएस बोपन्ना और हृषिकेश रॉय को
भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि वे केवल उन निजी अस्पतालों से कुछ निश्चित संख्या
में कोरोनोवायरस संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए कह रहे हैं, जिन्हें सरकार द्वारा रियायती दरों
जमीन दी गई है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की
गई सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि क्या
अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत तय शुल्क पर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों
का इलाज करने के लिए तैयार हैं?
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
ने पीठ को बताया कि सरकार समाज के सबसे निचले तबके के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ
प्रदर्शन कर रही है और जो लोग इलाज का खर्च नहीं उठा सकते, वे आयुष्मान भारत योजना के तहत आते
हैं। शीर्ष
अदालत देश भर के निजी अस्पतालों में COVID-19 के उपचार की लागत को विनियमित करने के लिए एक
दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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