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सरकारी कॉलेजों के जनभागीदारी अध्यक्षों को हटाया


भोपाल। मध्‍य प्रदेश के सभी सरकारी कॉलेजों के जनभागीदारी अध्यक्षों को हटाते हुए जनभागीदारी समितियों को भंग कर दिया गया है। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग ने बुधवार को आदेश जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि इस संबंध में नवदुनिया ने 1 मई को सबसे पहले खबर छापकर जनभागीदारी समितियों के जल्द भंग किए जाने की जानकारी दी थी। आदेश उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अजीत कुमार ने जारी किए हैं।


उच्च शिक्षा विभाग ने तीन माह पहले सवा सौ जनभागीदारी समीतियों का गठन किया था। इसमें एक दर्जन विधायकों के साथ शेष कांग्रेस के पूर्व विधायक और कार्यकर्ता शामिल थे। उक्त समितियों को भंग करने के बाद अब विभाग नये सिरे से प्रदेशभर के करीब 516 कालेजों में समितियों को स्थापित करेगा।
अब इसमें दस-दस सदस्यों को शामिल किया जाएगा। इससे करीब 1200 भाजपा नेताओं को बैठाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसमें वे अध्यक्ष के साथ अन्य सदस्यों के रूप में शामिल किया जाएगा। समितियों में प्राचार्य सचिव सदस्य होता है। जबकि अध्यक्ष के रूप में जनप्रतिनिधि के रूप में विधायक या सांसद के साथ जिला पंचायत, जनपद पंचायत सदस्य को शासन नियुक्त करता है।
उपाध्यक्ष के तौर पर कलेक्टर प्रतिनिधि को शामिल किया जाता है। इसके साथ सांसद और विधायक के एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया जाता है। उद्योगपति, पूर्व छात्रों के दो-दो अभिभावक और एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग से एक-एक अभिभावक, महिला अभिभावक और यूजीसी से मनोनीत सदस्य को शामिल किया जाता है।

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