उनके परिवार के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी
पीटीआई को बताया, "उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ और शाम 5
बजे अस्पताल में वो चल बसे". चुन्नी गोस्वामी की कप्तानी में भारत ने 1962 के एशियाई
खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. वो क्रिकेटर भी थे और उन्होंने बंगाल की रणजी टीम
की कप्तानी भी की.
चुन्नी गोस्वामी की मृत्यु से पहले पिछले महीने
20 मार्च को भारत के एक और दिग्गज फ़ुटबॉलर पी.के बनर्जी ने भी दुनिया
को अलविदा कह दिया था. 60 के
दशक में भारतीय फ़ुटबॉल अपने स्वर्णिम दौर में था और तब इस टीम में तीन दिग्गजों
का जलवा था - पी के बनर्जी, चुन्नी गोस्वामी और तुलसीदास बलराम.
इस ख़तरनाक तिकड़ी ने भारत को अंतरराष्ट्रीय
फ़ुटबॉल में कई सफलताएँ दिलवाईं. भारत ने 1962 में जकार्ता
में 1951 के बाद दूसरी बार स्वर्ण पदक जीता. 1956 में इसी तिकड़ी
की बदौलत भारत मेलबोर्न में हुए ओलंपिक में सेमीफ़ाइनल तक पहुँचा था. भारत इस स्तर
तक पहुँचने वाला एशिया का पहला देश था.
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