भोपाल ! कोरोना संकट से उबरने के बाद सरकार का फोकस आर्थिक गतिविधियों को
बढ़ावा देने पर होगा। इसके लिए छोटे और मझोले उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
इन्हें न सिर्फ बैंकों से विभिन्न योजनाओं के तहत कर्ज दिलवाया जाएगा बल्कि
उत्पादों को बाजार भी मिल सके, इसकी भी चिंता की जाएगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए
वित्त और उद्योग विभाग के अधिकारियों को रणनीति बनाने के निर्देश दिए हैं। श्रम
कानूनों में भी कुछ बदलाव ऐसे किए हैं, जिसका सीधा फायदा उन उद्योगों को
मिलेगा। प्रदेश में 22 हजार 232 सूक्ष्म,
लघु
और मध्यम उद्योग हैं। इनमें से 70 फीसदी शहरी क्षेत्रों में हैं।
लॉकडाउन में भोपाल, इंदौर और उज्जैन
में औद्योगिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद हैं लेकिन बाकी रेड जोन के ग्रामीण सहित
अन्य जिलों में गतिविधियां शुरू हो गई हैं। लगभग 15 प्रतिशत
उद्योगों में काम भी शुरू हो गया है। इनमें 23 हजार से ज्यादा
श्रमिकों को काम भी मिल रहा है।
उद्योग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि छोटे
और मझोले उद्योगों में लागत कम होती है और लोगों की भी कम जरूरत पड़ती है, इसलिए
इन्हें प्राथमिकता में रखा गया है। इसके जरिए बड़े पैमाने पर रोजगार खड़ा किया जा
सकता है। मुख्यमंत्री स्व-रोजगार सहित कई अन्य योजनाएं हैं, जिनमें सरकार
सब्सिडी देती है और बैंकों से ऋण दिलाए जाते हैं। पिछले दो-तीन साल में आर्थिक
मंदी के कारण बैंकों से प्रकरणों के स्वीकृत होने की संख्या काफी कम हो गई थी।
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