रायपुर ! महात्मा गांधी सिर्फ विचार नहीं बल्कि एक दर्शन है और वे जितने
प्रासंगिक 20वीं सदी में थे
उतने ही 21वीं सदी में भी
हैं। गांधी दर्शन के चार आधारभूत सिद्धांत सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव है जिस पर चलकर ही विश्व में
शांति और सद्भाव स्थापित किया जा सकता है। यह बातें पं. रविशंकर शुक्ल
विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र एवं समाज कार्य अध्ययनशाला द्वारा 21वीं सदी में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता
विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विषय विशेषज्ञों ने व्यक्त कीं।
रविवि के समाजशास्त्र एवं समाज कार्य अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष एवं
सेमीनार के समन्वयक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एल.एस. गजपाल ने बताया कि राष्ट्रीय
संगोष्ठी के द्वितीय दिवस देश के विभिन्न राज्यों से आए विषय विशेषज्ञों ने
अलग-अलग सत्रों के मुख्य वक्ता के रूप में गांधी जी पर अपने विचार रखे एवं
शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये। राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसेर दिन प्रथम
सत्र के मुख्य वक्ता रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर
के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो. सी.एस.एस. ठाकुर ने 21वीं सदी में गांधी जी के सामाजिक विचारों की
प्रासंगिकता पर विचार करते हुए 21वीं सदी में
गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता पर विस्तार से अपनी बात रखी। श्री ठाकुर ने
गांधी जी के ग्राम विकास के माडल को अपनाए जाने पर बल दिया। प्रथम सत्र की
अध्यक्षता रविवि के समाजशास्त्र अध्ययनशाला के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. पी.के.
शर्मा ने की।
राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन समारोह 8 दिसंबर
को आयोजित किया गया है। समापन समारोह के मुख्य अतिथि बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के
पूर्व कुलपति प्रो. आईएस चौहान होंगे। विशेष अतिथि शासकीय पीजी महाविद्यालय, महासमुंद के सेवानिवृत्त प्राध्यापक एवं
प्राचार्य डॉ. अशोक नेमा एवं पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र एवं
समाज कार्य अध्ययनशाला के सेवानिवृत्त प्राध्यापक एवं पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.
पी.के. शर्मा होंगे।
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