छठ पूजा का पर्व सूर्य देव की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व साल में दो बार, चैत्र शुक्ल षष्ठी आैर कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथियों को मनाया जाता है। इनमे से कार्तिक की छठ पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।
चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा आदि कई नामों से बुलाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार छठ पूजा आैर उपवास मुख्य रूप से सूर्य देव की अाराधना से उनकी कृपा पाने के लिये होता है। एेसी मान्यता है कि सूर्य देव की कृपा हो जाये तो सेहत अच्छी रहती है, आैर धन-धान्य के भंडार भरे रहते हैं।
एेसा भी कहा जाता है कि छठ माई की कृपा से संतान प्राप्त होती। ये व्रत रखने से सूर्य के समान तेजस्वी आैर आेजस्वी संतान के लिये भी रखा जाता है। इस पूजा आैर उपवास से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
छठ माता को सूर्य देव की बहन माना जाता है। वहीं छठ व्रत की एक कथा के अनुसार छठ देवी को ईश्वर की पुत्री देवसेना माना गया है।
देवसेना के बारे में बताते हुए कर्इ स्थान पर उन्हीं के हवाले से कहा गया कि वह प्रकृति की मूल प्रवृति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई हैं यही कारण है कि वे षष्ठी कहलार्इं। कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उनकी आराधना करने वालों को विधि विधान से पूजा करने पर संतान प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथाआें की माने तो एेसा कहा जाता है कि रामायण काल में भगवान श्री राम ने अयोध्या वापस आने के बाद सीता जी के साथ कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना की थी।
इसी तरह महाभारत काल में कुंती द्वारा विवाह से पूर्व सूर्योपासना करके पुत्र प्राप्ति करने से भी इस दिन को जोड़ा जाता है। कहते हैं कि कर्ण का जन्म इसी प्रकार हुआ था।
छठ पूजा चार दिनों तक चलती है जो इस बार 11 नवंबर 2018 से प्रारंभ होगी आैर 14 नवंबर 2018 तक चलेगी आैर उसका क्रम इस प्रकार रहेगा।
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